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शास्त्रीय नृत्य-मणिपुरी-कला और संस्कृति upsc mains gs paper-1

परिचय



मणिपुरी नृत्य भारत के मणिपुर राज्य से उत्पन्न हुआ एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है। यह नृत्य शैली अपनी कोमलता, लयबद्धता और भक्ति भाव के लिए प्रसिद्ध है। मणिपुरी नृत्य का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं का प्रदर्शन करना है।

विवरण और विश्लेषण

  1. मणिपुरी नृत्य की उत्पत्ति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

    • मणिपुरी नृत्य भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर की शास्त्रीय नृत्य शैली है। इस नृत्य की उत्पत्ति मणिपुर के प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास से जुड़ी हुई है और इसकी जड़ें मणिपुर की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में गहरी हैं। मणिपुरी नृत्य मुख्य रूप से वैष्णव भक्ति परंपरा और भगवान कृष्ण की लीलाओं पर आधारित है, जिसमें रास लीला, राधा-कृष्ण की कथा, और अन्य पौराणिक घटनाओं को प्रमुखता दी जाती है।

      मणिपुरी नृत्य की उत्पत्ति;

      मणिपुरी नृत्य का मूल स्वरूप स्थानीय धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं से विकसित हुआ है, जो बाद में वैष्णव भक्ति आंदोलन से भी प्रभावित हुआ। मणिपुर के निवासियों का मानना है कि उनके नृत्य की उत्पत्ति स्वयं देवताओं से हुई है। लोककथाओं के अनुसार, मणिपुर में देवी-देवताओं ने मानवता को नृत्य सिखाने के लिए इसे प्रस्तुत किया। इस नृत्य शैली का मुख्य उद्देश्य देवी-देवताओं की पूजा करना और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेना था।

      ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

      1. वैदिक युग और स्थानीय परंपरा

        • मणिपुर के नृत्य की शुरुआत वैदिक युग से मानी जाती है, हालांकि इसकी लिखित जानकारी उपलब्ध नहीं है।

        • मणिपुरी नृत्य का विकास मुख्य रूप से मणिपुरी जनजातियों की धार्मिक परंपराओं से हुआ।

        • प्रारंभ में, यह नृत्य शिव-शक्ति और प्रकृति की पूजा के रूप में किया जाता था।

      2. वैष्णव धर्म का प्रभाव

        • 15वीं-16वीं शताब्दी में मणिपुर के राजा भग्यचंद्र ने वैष्णव धर्म को अपनाया, जिससे नृत्य की दिशा बदल गई।

        • राजा भग्यचंद्र ने मणिपुरी नृत्य को भगवान कृष्ण की लीलाओं से जोड़ दिया, जिससे रास लीला का जन्म हुआ।

        • उन्होंने रास लीला को संरक्षित और संगठित किया और इसे धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा बनाया। इसके बाद, यह नृत्य शैली पूरी तरह से वैष्णव धर्म की भावनाओं में रंगी गई।

      3. मुगल और ब्रिटिश काल का प्रभाव

        • मणिपुरी नृत्य पर बाहरी प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहा, क्योंकि मणिपुर ने काफी हद तक अपनी सांस्कृतिक स्वतंत्रता को बनाए रखा।

        • ब्रिटिश काल में भी मणिपुरी नृत्य को संरक्षण मिलता रहा, और यह बाहरी प्रभावों से अछूता रहा।

      4. 20वीं शताब्दी में पुनरुत्थान

        • 20वीं शताब्दी में मणिपुरी नृत्य को पुनः राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

        • रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मणिपुरी नृत्य को शांतिनिकेतन में प्रस्तुत करवाया, जिससे इसे वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि मिली।

        • इस समय से मणिपुरी नृत्य को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की मान्यता प्राप्त हुई और इसे संरक्षित और प्रोत्साहित करने के कई प्रयास किए गए।


  2. मणिपुरी नृत्य के प्रमुख तत्व:

    • मणिपुरी नृत्य के प्रमुख तत्वों में भाव (अभिनय), नृत्य मुद्राएँ, और संगीत शामिल हैं। इसमें नृत्य की कोमलता और लयबद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। नर्तक और नर्तकियाँ अपने हाथों और पैरों की कोमल मुद्राओं के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करते हैं.

  3. मणिपुरी नृत्य की वेशभूषा और आभूषण:

    • मणिपुरी नृत्य की वेशभूषा में पारंपरिक पोशाकें शामिल होती हैं, जैसे कि पोटलोई (घेरदार स्कर्ट) और इनाफी (दुपट्टा)। आभूषणों में चांदी और सोने के गहने शामिल होते हैं, जो नर्तक और नर्तकियों की सुंदरता को बढ़ाते हैं.

  4. मणिपुरी नृत्य की विभिन्न शैलियाँ और उनकी विशेषताएँ:

    • मणिपुरी नृत्य की विभिन्न शैलियाँ हैं, जैसे कि रस लीला, संकीर्तन, और थांग-ता। प्रत्येक शैली की अपनी विशेषताएँ और महत्व हैं.

  5. मणिपुरी नृत्य में प्रयुक्त वाद्य यंत्र और संगीत:

    • मणिपुरी नृत्य में प्रयुक्त वाद्य यंत्रों में पखावज, मृदंग, और बांसुरी शामिल हैं। संगीत में भक्ति गीतों का प्रमुख स्थान है.

  6. मणिपुरी नृत्य के प्रदर्शन और उनकी विशेषताएँ:

    • मणिपुरी नृत्य के प्रदर्शन में नर्तक और नर्तकियाँ कोमल और लयबद्ध मुद्राओं का प्रदर्शन करते हैं। इसमें नृत्य की कोमलता और सौंदर्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है.


    मणिपुरी नृत्य के आधुनिक समय में विकास और परिवर्तन-


    मणिपुरी नृत्य, अपनी परंपरागत शैली और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध, समय के साथ आधुनिक प्रभावों और परिवर्तनों से गुजरा है। बदलते समय, वैश्वीकरण और नई तकनीकों के आगमन ने मणिपुरी नृत्य के स्वरूप और प्रस्तुति में कई नए आयाम जोड़े हैं। इन परिवर्तनों ने इस कला को समृद्ध किया है, लेकिन साथ ही, परंपरागत शैली को संरक्षित रखने की चुनौतियाँ भी उत्पन्न की हैं।

    1. आधुनिक समय में मणिपुरी नृत्य का विकास

    a. मंचीय प्रदर्शन का विकास

    • पारंपरिक मणिपुरी नृत्य धार्मिक अनुष्ठानों और सांस्कृतिक समारोहों तक सीमित था, लेकिन अब इसे मंचीय प्रस्तुतियों में भी प्रस्तुत किया जाता है।

    • आधुनिक रंगमंच पर मणिपुरी नृत्य को प्रस्तुत करने के लिए प्रकाश, संगीत, और तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाने लगा है।

    • नृत्य अब केवल धार्मिक कार्यों का हिस्सा न होकर, कला प्रदर्शन और मनोरंजन का साधन भी बन गया है।

    b. नई कोरियोग्राफी और शैलियों का समावेश

    • परंपरागत "रास लीला" और "संकिर्तन" जैसे प्रदर्शन अब अधिक नवाचारों के साथ प्रस्तुत किए जाते हैं।

    • आधुनिक कोरियोग्राफर पारंपरिक मुद्राओं को बनाए रखते हुए नए विषयों और भावनाओं को जोड़ रहे हैं।

    • नृत्य में लोक कथाओं, समकालीन सामाजिक मुद्दों, और आधुनिक विषयों को भी शामिल किया जाने लगा है।

    c. वैविध्यपूर्ण संगीत का उपयोग

    • पारंपरिक मणिपुरी वाद्ययंत्र जैसे पुंग (ड्रम) और मृदंग का उपयोग जारी है, लेकिन अब अन्य भारतीय और पश्चिमी वाद्ययंत्रों का भी समावेश हो रहा है।

    • संगीत में प्रयोग ने इस नृत्य को युवा दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाया है।

    d. अंतरराष्ट्रीय पहचान

    • मणिपुरी नृत्य अब वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत किया जाता है।

    • भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में इसकी प्रस्तुति ने इसे विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया है।

    2. आधुनिक समय में आए परिवर्तन

    a. शैक्षणिक और संस्थागत समर्थन

    • मणिपुरी नृत्य अब शिक्षा का हिस्सा बन गया है। कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों में इसे एक शास्त्रीय नृत्य के रूप में पढ़ाया जाता है।

    • राष्ट्रीय स्तर पर संस्थानों, जैसे कि जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य अकादमी, ने इस नृत्य शैली को संरक्षित और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    b. डिजिटल युग में प्रचार

    • यूट्यूब, इंस्टाग्राम, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से मणिपुरी नृत्य की सुंदरता को वैश्विक दर्शकों तक पहुँचाया जा रहा है।

    • ऑनलाइन कार्यशालाएँ और लाइव प्रस्तुतियाँ, विशेषकर कोविड-19 महामारी के दौरान, इस नृत्य को सीखने और सिखाने के नए साधन बने।

    c. थीम और प्रस्तुति में विविधता

    • मणिपुरी नृत्य अब केवल धार्मिक कथाओं तक सीमित नहीं है।

    • सामाजिक मुद्दों जैसे महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, और मानवाधिकारों पर आधारित प्रस्तुतियाँ भी दी जा रही हैं।

    d. नर्तकों की नई पीढ़ी

    • युवा कलाकार मणिपुरी नृत्य को नए दृष्टिकोण और ऊर्जा के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं।

    • यह नृत्य शैली अब पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से लोकप्रिय हो रही है।

    3. मणिपुरी नृत्य के विकास के लिए आधुनिक योगदान

    a. सरकार की पहल

    • भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा मणिपुरी नृत्य के कलाकारों को वित्तीय सहायता, अनुदान, और मंच प्रदान किए जा रहे हैं।

    • संगीत नाटक अकादमी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र जैसे संस्थानों ने इसके संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

    b. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महोत्सव

    • मणिपुरी नृत्य को फेस्टिवल ऑफ इंडिया जैसे कार्यक्रमों में प्रदर्शित किया जा रहा है।

    • राष्ट्रीय नृत्य महोत्सवों और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में मणिपुरी नृत्य को प्रमुखता दी जाती है।

    c. गैर-सरकारी संगठनों का योगदान

    • स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय एनजीओ पारंपरिक कलाकारों को प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता प्रदान कर रहे हैं।

    • सांस्कृतिक संरक्षण और पुनरुत्थान के प्रयासों में इनका सहयोग महत्वपूर्ण है।

    4. मणिपुरी नृत्य और वैश्विकरण

    a. भारतीय संस्कृति का प्रतीक

    • मणिपुरी नृत्य भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का प्रतीक बन गया है।

    • यह भारतीय कूटनीति में सांस्कृतिक राजनय (Cultural Diplomacy) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    b. अंतरराष्ट्रीय शिक्षण और प्रशिक्षण

    • विदेशों में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र मणिपुरी नृत्य सिखाने के लिए कक्षाएँ आयोजित कर रहे हैं।

    • ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से इसे वैश्विक स्तर पर अधिक छात्रों तक पहुँचाया जा रहा है।

    5. चुनौतियाँ और समाधान

    a. चुनौतियाँ

    • परंपरागतता बनाम नवाचार: पारंपरिक और आधुनिक तत्वों में संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है।

    • आर्थिक कठिनाइयाँ: कलाकारों को स्थायी आय के स्रोत और पर्याप्त प्रोत्साहन की कमी।

    • सांस्कृतिक पहचान का क्षरण: आधुनिक बदलावों के कारण परंपरागत तत्वों का धीरे-धीरे लुप्त होना।

    b. समाधान

    • संरक्षण और प्रचार के बीच संतुलन: परंपरा को संरक्षित रखते हुए, इसे समकालीन तरीकों से प्रस्तुत किया जाए।

    • सरकार और निजी संस्थानों का सहयोग: वित्तीय सहायता, पुरस्कार, और मंचों का विस्तार किया जाए।

    • शिक्षा और जागरूकता: मणिपुरी नृत्य को पाठ्यक्रम और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल किया जाए।

    निष्कर्ष

    मणिपुरी नृत्य ने आधुनिक समय में अपने परंपरागत स्वरूप को बनाए रखते हुए बदलावों और नवाचारों को अपनाया है। यह नृत्य न केवल भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि इसकी वैश्विक पहचान और लोकप्रियता बढ़ रही है। आधुनिक समय में तकनीक, युवा पीढ़ी की भागीदारी, और वैश्विक मंचों पर इसकी प्रस्तुति ने मणिपुरी नृत्य को एक नई दिशा दी है। इसे संरक्षित और विकसित करने के लिए परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।


यहाँ मणिपुरी नृत्य पर आधारित 1 MCQ दिए गए हैं, जो UPSC प्रीलिम्स के दृष्टिकोण से उपयोगी हो सकते हैं:

  • 1.मणिपुरी नृत्य की उत्पत्ति किस राज्य में हुई थी?

    • (a) तमिलनाडु

    • (b) कर्नाटक

    • (c) मणिपुर

    • (d) आंध्र प्रदेश

    • उत्तर: (c) मणिपुर

    2.मणिपुरी नृत्य की प्रमुख मुद्राओं में से एक कौन सी है?

    • (a) त्रिभंगी

    • (b) चौक

    • (c) लास्य

    • (d) तांडव

    • उत्तर: (a) त्रिभंगी

    3.मणिपुरी नृत्य के प्रमुख कलाकारों में से एक का नाम बताएं।

    • (a) रुक्मिणी देवी अरुंडेल

    • (b) केलुचरण महापात्र

    • (c) गुरु बिपिन सिंह

    • (d) बिरजू महाराज

    • उत्तर: (c) गुरु बिपिन सिंह

    4.मणिपुरी नृत्य में प्रयुक्त वाद्य यंत्रों में से एक कौन सा है?

    • (a) तबला

    • (b) मृदंग

    • (c) पखावज

    • (d) हारमोनियम

    • उत्तर: (c) पखावज

    5.मणिपुरी नृत्य की वेशभूषा में कौन सा तत्व शामिल होता है?

    • (a) पट्टसाड़ी

    • (b) धोती

    • (c) पोटलोई

    • (d) लहंगा

    • उत्तर: (c) पोटलोई

    6.मणिपुरी नृत्य में रस लीला का क्या महत्व है?

    • (a) यह नृत्य की गति को बढ़ाता है

    • (b) यह नृत्य की सुंदरता और लय को बढ़ाता है

    • (c) यह नृत्य की शक्ति को बढ़ाता है

    • (d) यह नृत्य की गति को धीमा करता है

    • उत्तर: (b) यह नृत्य की सुंदरता और लय को बढ़ाता है

    7.मणिपुरी नृत्य का इतिहास और विकास किस काल में हुआ?

    • (a) प्राचीन काल

    • (b) मध्यकाल

    • (c) आधुनिक काल

    • (d) उत्तर आधुनिक काल

    • उत्तर: (a) प्राचीन काल

    8.मणिपुरी नृत्य में भाव (अभिनय) का क्या महत्व है?

    • (a) यह नृत्य की गति को बढ़ाता है

    • (b) यह नृत्य की सुंदरता को बढ़ाता है

    • (c) यह नर्तक की भावनाओं और कहानियों को व्यक्त करता है

    • (d) यह नृत्य की शक्ति को बढ़ाता है

    • उत्तर: (c) यह नर्तक की भावनाओं और कहानियों को व्यक्त करता है

    9.मणिपुरी नृत्य के प्रमुख तत्वों में से एक कौन सा है?

    • (a) नृत्य मुद्राएँ

    • (b) संगीत

    • (c) भाव (अभिनय)

    • (d) उपरोक्त सभी

    • उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

    10.मणिपुरी नृत्य के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए किसने महत्वपूर्ण योगदान दिया है?

    • (a) सांस्कृतिक संस्थान

    • (b) कलाकार

    • (c) सरकार

    • (d) उपरोक्त सभी

    • उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

.11.मणिपुरी नृत्य मुख्य रूप से किस भगवान को समर्पित है?

A) भगवान शिव

B) भगवान विष्णु

C) भगवान कृष्ण

D) देवी दुर्गा

उत्तर: C) भगवान कृष्ण

12.मणिपुरी नृत्य का प्रमुख विषय क्या होता है?

A) रामायण

B) महाभारत

C) रासलीला

D) योग मुद्राएँ

उत्तर: C) रासलीला


13. मणिपुरी नृत्य का आध्यात्मिक महत्व किस धार्मिक परंपरा से जुड़ा है?

A) बौद्ध धर्म

B) वैष्णव धर्म

C) शैव धर्म

D) जैन धर्म

उत्तर: B) वैष्णव धर्म


यूपीएससी मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न;-


1. मणिपुरी नृत्य की उत्पत्ति और विकास का वर्णन कीजिए। यह नृत्य अन्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों से कैसे भिन्न है?

  • यह प्रश्न मणिपुरी नृत्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, इसकी सांस्कृतिक जड़ें और अन्य शास्त्रीय नृत्यों से इसके अनूठे तत्वों की चर्चा पर केंद्रित है।

2. मणिपुरी नृत्य में धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति को स्पष्ट कीजिए। यह वैष्णव परंपरा के साथ कैसे जुड़ा हुआ है?

  • यह प्रश्न मणिपुरी नृत्य के आध्यात्मिक महत्व, रासलीला, और वैष्णव परंपरा से इसके गहरे संबंध की विवेचना करने को प्रेरित करता है।

3. मणिपुरी नृत्य के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए किए गए प्रयासों का विश्लेषण कीजिए। क्या ये प्रयास पर्याप्त हैं?

  • यह प्रश्न मणिपुरी नृत्य के संरक्षण के लिए सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों की समीक्षा और इन प्रयासों की प्रभावशीलता की आलोचनात्मक चर्चा पर केंद्रित है।

4. मणिपुरी नृत्य में पारंपरिक वाद्ययंत्रों और परिधानों की भूमिका का वर्णन कीजिए।

  • यह प्रश्न मणिपुरी नृत्य में इस्तेमाल किए जाने वाले खोल, मृदंग जैसे वाद्ययंत्रों और पारंपरिक परिधान जैसे पॉटलोइ की सांस्कृतिक और कलात्मक भूमिका की व्याख्या करता है।

5. वैश्वीकरण के युग में मणिपुरी नृत्य को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है? इन चुनौतियों के समाधान के लिए सुझाव दीजिए।

  • यह प्रश्न आधुनिक समय में मणिपुरी नृत्य के अस्तित्व, इसके संरक्षण और पहचान के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करने को प्रेरित करता है।

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