आदिवासी कठपुतली कला और संस्कृति upsc mains gs paper-1
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- Nov 20, 2024
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आदिवासी कठपुतली कला और संस्कृति
आदिवासी कठपुतली कला भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्राचीन काल से ही आदिवासी समाज के जीवन, रीति-रिवाज, और मान्यताओं को प्रदर्शित करती रही है। यह न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संदेशों को व्यक्त करने का साधन भी है।
आदिवासी कठपुतली-कला का परिचय
आदिवासी समाज और कठपुतली-कला:
कठपुतलियां आदिवासी समाज में धार्मिक अनुष्ठानों, लोक कथाओं, और जनजीवन के चित्रण का माध्यम रही हैं।
विभिन्न प्रकार की कठपुतलियों का उपयोग उनके पारंपरिक नृत्य, संगीत, और नाटकों में किया जाता है।
प्रमुख आदिवासी कठपुतली परंपराएं:
ओडिशा की साखी कुंडेई: लकड़ी की कठपुतलियां, जो धार्मिक कहानियों और मिथकों को दर्शाती हैं।
झारखंड और छत्तीसगढ़ की कठपुतलियां: मिट्टी, कपड़े, और लकड़ी से बनाई गई कठपुतलियां, जो आदिवासी जनजातियों के जीवन से प्रेरित हैं।
भील जनजाति की कठपुतली कला: राजस्थान और गुजरात में भील समुदाय द्वारा सामाजिक और धार्मिक कथाओं को दिखाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
विशेषताएं:
कठपुतलियां प्रायः प्राकृतिक सामग्री जैसे लकड़ी, कपड़े, मिट्टी, और रंगीन धागों से बनाई जाती हैं।
इनके माध्यम से आदिवासी देवी-देवताओं, पशु-पक्षियों, और लोकनायकों का चित्रण किया जाता है।
प्रत्येक कठपुतली में रंग और अलंकरण का सांस्कृतिक महत्व होता है।
कठपुतली-कला का सांस्कृतिक महत्व
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
कठपुतलियों का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा के समय किया जाता है।
देवी-देवताओं की कहानियों को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
सामाजिक संदेश:
आदिवासी समाज में कठपुतली कला के माध्यम से नैतिकता, कर्तव्य और सामाजिक नियमों की शिक्षा दी जाती है।
पर्यावरण संरक्षण, सामूहिकता और सामुदायिक मूल्यों को बढ़ावा देने का माध्यम।
मनोरंजन और शिक्षा:
कठपुतली नाटक आदिवासी उत्सवों और मेलों का हिस्सा होते हैं।
बच्चों और युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का माध्यम।
आधुनिक युग में आदिवासी कठपुतली-कला
प्रौद्योगिकी और परिवर्तन:
पारंपरिक कठपुतलियों में अब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और प्रकाश प्रभावों का उपयोग।
आदिवासी कला को आधुनिक कठपुतली थिएटर में शामिल किया जा रहा है।
सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास:
आदिवासी हस्तकला और कठपुतली कला के संरक्षण के लिए विशेष योजनाएं।
"संगीत नाटक अकादमी" और अन्य संगठनों द्वारा आदिवासी कठपुतली कला का प्रचार।
आर्थिक संभावनाएं:
कठपुतली कला आदिवासी समुदायों के लिए आय का स्रोत बन रही है।
पर्यटन उद्योग में आदिवासी कठपुतलियों की बढ़ती मांग।
चुनौतियां और समाधान
चुनौतियां:
आधुनिक मनोरंजन के साधनों के कारण पारंपरिक कठपुतली कला की घटती लोकप्रियता।
आर्थिक संसाधनों और प्रोत्साहन की कमी।
आदिवासी कलाकारों का पलायन और पारंपरिक ज्ञान का लोप।
समाधान:
कठपुतली कला को स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना।
कलाकारों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करना।
सांस्कृतिक उत्सवों और प्रदर्शनियों में आदिवासी कठपुतली कला को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष
आदिवासी कठपुतली कला केवल एक कला रूप नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और सामुदायिक विरासत का प्रतीक है। इसे संरक्षित और संवर्धित करना न केवल सांस्कृतिक उत्तरदायित्व है, बल्कि आदिवासी समाज के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम भी है। सरकारी योजनाओं और सामुदायिक प्रयासों के माध्यम से इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ले जाने की आवश्यकता है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न,
1.आदिवासी कठपुतली-कला भारत की सांस्कृतिक धरोहर में किस प्रकार योगदान देती है? चर्चा करें।
How does tribal puppetry contribute to India's cultural heritage? Discuss.
2.आधुनिक युग में आदिवासी कठपुतली-कला को संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
What steps can be taken to preserve tribal puppetry in the modern era?
3.आदिवासी कठपुतली-कला के माध्यम से समाज में जागरूकता और शिक्षा कैसे प्रसारित की जा सकती है?
How can tribal puppetry be used as a medium for spreading social awareness and education?
4.पारंपरिक आदिवासी कठपुतली-कला की विशेषताओं का वर्णन करें और इसे आधुनिक कठपुतली-कला से तुलना करें।
Describe the characteristics of traditional tribal puppetry and compare it with modern puppetry techniques.
5.आदिवासी कठपुतली-कला को संरक्षित करने में सरकारी नीतियों और गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका का मूल्यांकन करें।
Evaluate the role of government policies and NGOs in preserving tribal puppetry traditions
प्रश्न:1 "साखी कुंडेई" कठपुतली शैली का संबंध किस राज्य से है?
(a) छत्तीसगढ़
(b) ओडिशा
(c) झारखंड
(d) मध्य प्रदेश
उत्तर: (b) ओडिशा
प्रश्न:2 आदिवासी कठपुतलियों को बनाने में प्रायः किस सामग्री का उपयोग किया जाता है?
(a) लकड़ी
(b) कपड़ा
(c) मिट्टी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न:3 निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिए आदिवासी कठपुतली-कला का उपयोग किया जाता है?
(a) धार्मिक अनुष्ठान
(b) सामाजिक संदेश
(c) मनोरंजन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न:4 भील जनजाति की कठपुतलियों में प्रायः कौन से विषय प्रमुख होते हैं?
(a) पौराणिक कहानियां
(b) प्रकृति और पशु-पक्षी
(c) लोकगीत और नृत्य
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न:5 भारत में आदिवासी कठपुतली-कला को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध "भारतीय लोक कला मंडल" किस राज्य में स्थित है?
(a) गुजरात
(b) राजस्थान
(c) मध्य प्रदेश
(d) छत्तीसगढ़
उत्तर: (b) राजस्थान
प्रश्न:6 भारतीय आदिवासी कठपुतली-कला को "अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" का दर्जा UNESCO द्वारा कब दिया गया?
(a) 2003
(b) 2008
(c) 2012
(d) 2015
उत्तर: (a) 2003
प्रश्न:7 निम्नलिखित में से कौन सा विषय आदिवासी कठपुतली-कला में प्रचलित है?
(a) पर्यावरण संरक्षण
(b) आदिवासी संघर्ष
(c) सांस्कृतिक मूल्यों का प्रचार
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न:8 "थोलु बोंमालट्टम" किस प्रकार की कठपुतली-कला है?
(a) छाया कठपुतली
(b) हाथ की कठपुतली
(c) धागे की कठपुतली
(d) लकड़ी की कठपुतली
उत्तर: (a) छाया कठपुतली
प्रश्न:9 आदिवासी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत कठपुतली-कला का उपयोग कब शुरू हुआ?
(a) 2005
(b) 2010
(c) 2014
(d) 2017
उत्तर: (c) 2014
प्रश्न:10 भारत सरकार ने आदिवासी कला और कठपुतली के संरक्षण के लिए निम्नलिखित में से कौन सी योजना शुरू की?
(a) कला संगम योजना
(b) एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना
(c) लोक संस्कृति विकास योजना
(d) राष्ट्रीय हस्तशिल्प योजना
उत्तर: (c) लोक संस्कृति विकास योजना
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