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छाया कठपुतलियां-कला और संस्कृति upsc mains gs paper-1



परिचय

छाया कठपुतलियाँ, जिन्हें "शैडो पपेट्स" भी कहा जाता है, एक प्रकार की कठपुतली कला है जिसमें पात्रों की छवियाँ पर्दे पर दिखाई जाती हैं। यह कला प्राचीन काल से भारत में प्रचलित है और विभिन्न राज्यों में इसके अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं।

इतिहास और उत्पत्ति

छाया कठपुतलियों की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई मानी जाती है। यह कला विशेष रूप से ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में प्रचलित है। ओडिशा की "रावण छाया" और कर्नाटक की "तोगलु गोम्बेआट्टा" छाया कठपुतलियों के प्रमुख उदाहरण हैं


छाया कठपुतलियों का महत्व:

  1. सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम:

    • छाया कठपुतलियां रामायण, महाभारत और अन्य पौराणिक कथाओं का प्रदर्शन करती हैं।

    • यह सामाजिक और नैतिक मूल्यों के प्रचार का साधन रही है।

  2. लोक कलाओं का संरक्षण:

    • छाया कठपुतली विभिन्न क्षेत्रों की लोक कलाओं को जीवंत बनाए रखती है।

    • इसमें संगीत, गायन, नृत्य, और हस्तकला का संगम होता है।

  3. सामाजिक जुड़ाव:

    • प्राचीनकाल में ये ग्रामीण क्षेत्रों में मनोरंजन और जनजागरूकता का प्रभावी माध्यम थीं।

    • यह जनसमूह को धार्मिक और सामाजिक शिक्षाएं प्रदान करने का साधन थी।

भारत में छाया कठपुतलियों के प्रकार:

छाया कठपुतली भारत में भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता के अनुसार भिन्न-भिन्न रूपों में प्रचलित है। मुख्यतः चार प्रकार हैं:

  1. तोळु बोम्मलाटा (आंध्र प्रदेश):

    • यह भव्य और विस्तृत कठपुतलियों के लिए प्रसिद्ध है।

    • रामायण और महाभारत की कहानियों का प्रदर्शन मुख्य रूप से होता है।

  2. तोगालु गोम्बेयाटा (कर्नाटक):

    • यह चमड़े की पतली कठपुतलियों का उपयोग करता है।

    • नाटकों में धार्मिक और लोक कथाओं का समावेश होता है।

  3. रावण छाया (ओडिशा):

    • ये कठपुतलियां एकल छवि के रूप में बनाई जाती हैं और उनका प्रदर्शन सरल एवं कलात्मक होता है।

    • इसमें कठपुतलियों की छवि बिना जोड़ वाली होती है।

  4. थोलपावाकुथु (केरल):

    • यह केरल के मंदिरों में प्रदर्शित की जाने वाली कठपुतली कला है।

    • इसमें रामायण के पात्रों और कहानियों को प्रस्तुत किया जाता है।

कला का वर्तमान परिप्रेक्ष्य और चुनौतियां:

  1. आधुनिक मनोरंजन साधनों का प्रभाव:

    • टेलीविजन, सिनेमा और इंटरनेट के प्रसार ने पारंपरिक लोक कलाओं की लोकप्रियता घटा दी है।

  2. कला के कलाकारों का पलायन:

    • आर्थिक संकट और सामाजिक मान्यता की कमी के कारण कलाकार अन्य क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं।

  3. सरकारी संरक्षण की आवश्यकता:

    • इस लोक कला के संरक्षण और प्रचार के लिए विशेष प्रयास आवश्यक हैं।

संरक्षण के उपाय:

  1. सरकारी सहायता:

    • कलाकारों के लिए वित्तीय सहायता और विशेष योजनाएं शुरू की जानी चाहिए।

    • कठपुतली कला को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए।

  2. सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन:

    • छाया कठपुतलियों के प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किए जाने चाहिए।

  3. आधुनिक तकनीक का उपयोग:

    • छाया कठपुतली को आधुनिक संगीत, लाइटिंग और प्रोजेक्शन तकनीक के साथ जोड़ा जा सकता है।

निष्कर्ष:

छाया कठपुतलियां भारतीय कला और संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। यह हमारी प्राचीन परंपराओं, मान्यताओं और विचारों का वाहक रही हैं। इसे संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व से अवगत कराने की आवश्यकता है। इसके माध्यम से हम न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रख सकते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसे प्रसारित कर सकते हैं।


यूपीएससी मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न,

  • 1.भारतीय संस्कृति में छाया कठपुतलियों की भूमिका और उनका ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा करें।(Discuss the role and historical significance of shadow puppetry in Indian culture.)

  • 2.छाया कठपुतली कला भारत के विभिन्न क्षेत्रों में किस प्रकार भिन्न है? इसके क्षेत्रीय प्रकारों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करें।(How does shadow puppetry differ across various regions in India? Present a comparative analysis of its regional forms.)

  • 3.आधुनिकता के युग में छाया कठपुतली कला को संरक्षित करने की आवश्यकता और चुनौतियों पर प्रकाश डालें।(Highlight the need and challenges of preserving shadow puppetry in the modern era.)

  • 4.भारत में छाया कठपुतली कला के माध्यम से सामाजिक और नैतिक संदेशों के प्रचार की परंपरा पर चर्चा करें।(Discuss the tradition of using shadow puppetry for propagating social and moral messages in India.)

  • 5.लोक कलाओं के संरक्षण में सरकारी प्रयास और छाया कठपुतली कला के लिए भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त करें।(Express your views on governmental efforts in preserving folk arts and the future prospects for shadow puppetry.)


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  1. छाया कठपुतलियों की कला का कौन सा रूप केरल राज्य में प्रचलित है?

    (a) तोळु बोम्मलाटा

    (b) थोलपावाकुथु

    (c) तोगालु गोम्बेयाटा

    (d) रावण छाया

    उत्तर: (b) थोलपावाकुथु

    2 .रावण छाया’ छाया कठपुतली कला किस राज्य से संबंधित है?

    (a) तमिलनाडु

    (b) ओडिशा

    (c) महाराष्ट्र

    (d) पश्चिम बंगाल

    उत्तर: (b) ओडिशा

    3.छाया कठपुतलियों में किस सामग्री का प्रायः उपयोग किया जाता है?

    (a) लकड़ी

    (b) चमड़ा

    (c) कपड़ा

    (d) बांस

    उत्तर: (b) चमड़ा

    4.तोळु बोम्मलाटा छाया कठपुतली कला किस राज्य से संबंधित है?

    (a) कर्नाटक

    (b) आंध्र प्रदेश

    (c) केरल

    (d) गुजरात

    उत्तर: (b) आंध्र प्रदेश

    5.‘तोगालु गोम्बेयाटा’ मुख्यतः किस महाकाव्य की कहानियां प्रस्तुत करता है?

    (a) महाभारत

    (b) रामायण

    (c) भगवद गीता

    (d) पुराण

    उत्तर: (b) रामायण

    6.छाया कठपुतली कला के प्रदर्शन में किस उपकरण का मुख्य उपयोग होता है?

    (a) पर्दा और दीप

    (b) माइक और मंच

    (c) प्रोजेक्टर और स्क्रीन

    (d) मिट्टी के पात्र

    उत्तर: (a) पर्दा और दीप

    7.थोलपावाकुथु प्रदर्शन मुख्यतः किस देवता से संबंधित कथाओं पर आधारित होता है?

    (a) शिव

    (b) राम

    (c) कृष्ण

    (d) विष्णु

    उत्तर: (b) राम

    8.छाया कठपुतलियों की शुरुआत किस काल में मानी जाती है?

    (a) वैदिक काल

    (b) मौर्य काल

    (c) गुप्त काल

    (d) पौराणिक कालउत्तर: (d) पौराणिक काल

    9.निम्नलिखित में से कौन-सा सही है? छाया कठपुतली कला में:

    1. कठपुतलियां पारदर्शी चमड़े की होती हैं।

    2. इन्हें प्रकाश स्रोत के सामने रखा जाता है।

    3. इनका प्रदर्शन खुले मैदान में होता है।


      विकल्प:


      (a) केवल 1 और 2


      (b) केवल 2 और 3


      (c) केवल 1 और 3


      (d) 1, 2 और 3


      उत्तर: (a) केवल 1 और 2

    10.भारतीय छाया कठपुतली कला को UNESCO की किन सूचियों में शामिल करने का प्रयास हो रहा है?

    (a) अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची

    (b) विश्व धरोहर सूची

    (c) स्मारक संरक्षण सूची

    (d) जीवंत परंपरा सूची

    उत्तर: (a) अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची


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