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प्राचीन जैन साहित्य- कला और संस्कृति upsc mains gs paper -1

Updated: Nov 27, 2024




जैन धर्म का साहित्य भारतीय इतिहास और दर्शन का एक अमूल्य हिस्सा है। यह साहित्य मुख्य रूप से प्राकृत, संस्कृत, और अपभ्रंश भाषाओं में रचा गया है। यह न केवल धार्मिक विचारों का भंडार है, बल्कि भारत के प्राचीन समाज, संस्कृति, और दर्शन को भी गहराई से समझने का माध्यम प्रदान करता है।


1. जैन साहित्य की संरचना


जैन साहित्य दो संप्रदायों में विभाजित है:


श्वेतांबर साहित्य:

12 अंग (आगम ग्रंथ)


उपांग, चूलिका सूत्र, मूल सूत्र, प्रकीर्णक सूत्र, और चेदसूत्र।


उदाहरण: आचारांगसूत्र (जैन भिक्षुओं के नियम), सूत्रकृतांग (जैन धर्म के सिद्धांत)।


दिगंबर साहित्य:


12 अंग ग्रंथों को प्राचीन काल में खोया हुआ माना जाता है।


दिगंबरों ने ग्रंथ लिखने में संस्कृत और प्राकृत का उपयोग किया।


प्रमुख ग्रंथ: कसयपाहुड, समयसार (आचार्य कुंदकुंद), गोम्मटसार।


विश्लेषण:

श्वेतांबर और दिगंबर साहित्य में भिन्नताएं जैन धर्म के ऐतिहासिक विकास और उनके दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।

2. जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ और उनके विषय


आचारांगसूत्र:

जैन मुनियों के लिए आचारसंहिता।


अहिंसा, ब्रह्मचर्य, तपस्या पर जोर।


कल्पसूत्र:


महावीर के जीवन और संघ की संरचना का विवरण।


जैन धर्म के इतिहास के लिए महत्वपूर्ण।



तत्त्वार्थसूत्र (उमास्वामी):


जैन दर्शन का सबसे व्यवस्थित और वैज्ञानिक विवरण।


सप्त तत्त्वों (जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष) पर प्रकाश।



समयसार (कुंदकुंद):


आत्मा और कर्म के सिद्धांत का गहन विवेचन।


जैन आध्यात्मिकता का आधार।




विश्लेषण:

जैन ग्रंथों का प्रमुख उद्देश्य नैतिकता और आत्मा की शुद्धता को बढ़ावा देना है।


3. जैन साहित्य की भाषाएँ और उनका योगदान


प्राकृत:


जैन आगम साहित्य मुख्य रूप से अर्धमागधी प्राकृत में लिखा गया।

सरल भाषा में शिक्षाएं।


संस्कृत:


जैन मनीषियों ने दार्शनिक ग्रंथ संस्कृत में लिखे।


जैसे, तत्त्वार्थसूत्र, गोम्मटसार।



अपभ्रंश:


मध्यकालीन जैन साहित्य में उपयोग।


जैसे, भक्तामर स्तोत्र।


विश्लेषण:

जैन साहित्य में भाषाई विविधता भारतीय भाषाओं के विकास में योगदान देती है।


4. जैन साहित्य का दर्शन और विचारधारा


अहिंसा:


जैन धर्म का प्रमुख सिद्धांत।


साहित्य में प्राणी मात्र के प्रति करुणा का संदेश।


अन्यांतवाद:


सत्य का बहुआयामी दृष्टिकोण।


यह सिद्धांत जैन दर्शन को तर्कशील बनाता है।


कर्म सिद्धांत:

कर्म का बंधन और मोक्ष के मार्ग की चर्चा।


विश्लेषण:

जैन दर्शन समाज को नैतिकता, सहिष्णुता और तर्कशीलता सिखाने का माध्यम है।


5. जैन साहित्य का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व


सांस्कृतिक प्रभाव:


भारतीय कला, स्थापत्य, और समाज पर गहरा प्रभाव।


जैसे, भक्तामर स्तोत्र का संगीत और कला में योगदान।


ऐतिहासिक स्रोत:


जैन ग्रंथ प्राचीन भारत के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक इतिहास का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।


परिशिष्टपर्वन और हरिवंश पुराण जैसे ग्रंथ महाजनपद काल की जानकारी देते हैं।


विश्लेषण:

जैन साहित्य ने भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को समृद्ध किया है।

6. आधुनिक काल में महत्व


जैन ग्रंथ अहिंसा, सहिष्णुता, और सत्य के सार्वभौमिक मूल्य सिखाते हैं।

महात्मा गांधी पर जैन धर्म का प्रभाव।


विश्लेषण:

आधुनिक समाज में जैन धर्म की शिक्षाएं पर्यावरण संरक्षण और सह-अस्तित्व के लिए प्रेरणा हैं।


संभावित प्रश्न (UPSC Mains)

1. जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथों की संरचना और उनके ऐतिहासिक-सांस्कृतिक महत्व की चर्चा करें।

2. जैन साहित्य के माध्यम से अहिंसा और सत्य की अवधारणा का मूल्यांकन करें।

3. "तत्त्वार्थसूत्र जैन दर्शन का सार है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।

4. जैन धर्म के आगम साहित्य और उनके दिगंबर व श्वेतांबर संस्करणों की तुलना करें।

5. जैन साहित्य भारतीय भाषाओं और समाज पर किस प्रकार प्रभाव डालता है?


प्राचीन जैन साहित्य पर आधारित UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए 20 MCQs

प्रश्न 1

जैन धर्म के किस ग्रंथ में महावीर स्वामी के जीवन का वर्णन है?

a) तत्त्वार्थसूत्र

b) कल्पसूत्र

c) आचारांगसूत्र

d) समयसार

उत्तर: b) कल्पसूत्र

प्रश्न 2

जैन धर्म का पहला अंग ग्रंथ कौन-सा है?

a) सूत्रकृतांग

b) आचारांगसूत्र

c) उपांग

d) चेदसूत्र

उत्तर: b) आचारांगसूत्

प्रश्न 3

तत्त्वार्थसूत्र के रचयिता कौन हैं?

a) महावीर स्वामी

b) कुंदकुंद

c) उमास्वामी

d) भद्रबाहु

उत्तर: c) उमास्वामी

प्रश्न 4

जैन धर्म के श्वेतांबर साहित्य में कितने अंग ग्रंथ शामिल हैं?

a) 10

b) 12

c) 14

d) 16

उत्तर: b) 12

प्रश्न 5

जैन धर्म के अनुसार, प्राचीन साहित्य मुख्य रूप से किस भाषा में लिखा गया था?

a) संस्कृत

b) प्राकृत

c) पालि

d) अपभ्रंश

उत्तर: b) प्राकृत

प्रश्न 6

कुंदकुंद द्वारा रचित कौन-सा ग्रंथ जैन धर्म में प्रसिद्ध है?

a) गोम्मटसार

b) कल्पसूत्र

c) आचारांगसूत्र

d) सूत्रकृतांग

उत्तर: a) गोम्मटसार

प्रश्न 7

"अन्यांतवाद" किससे संबंधित है?

a) सत्य का बहुआयामी दृष्टिकोण

b) तपस्या का महत्व

c) कर्म के नियम

d) संघ के अनुशासन

उत्तर: a) सत्य का बहुआयामी दृष्टिकोण---

प्रश्न 8

जैन साहित्य के "उपांग" ग्रंथों का मुख्य विषय क्या है?

a) महावीर स्वामी का जीवन

b) भिक्षुओं के नियम

c) दर्शन और तर्क

d) भक्ति और स्तुति


उत्तर: c) दर्शन और तर्क

प्रश्न 9

जैन धर्म का "आगम" साहित्य मुख्यतः किस संप्रदाय से जुड़ा है?

a) श्वेतांबर

b) दिगंबर

c) बौद्ध

d) थेरवाद

उत्तर: a) श्वेतांबर

प्रश्न 10

कल्पसूत्र का लेखन किसने किया?

a) भद्रबाहु

b) उमास्वामी

c) कुंदकुंद

d) हेमचंद्र

उत्तर: a) भद्रबाहु

प्रश्न 11

जैन ग्रंथ "समयसार" का मुख्य विषय क्या है?

a) आत्मा और कर्म का विश्लेषण

b) संघ का अनुशासन

c) तपस्या के प्रकार

d) महावीर का जीवन

उत्तर: a) आत्मा और कर्म का विश्लेषण

प्रश्न 12

जैन धर्म में "सप्त तत्त्व" का वर्णन किस ग्रंथ में किया गया है?

a) गोम्मटसार

b) तत्त्वार्थसूत्र

c) आचारांगसूत्र

d) कल्पसूत्र

उत्तर: b) तत्त्वार्थसूत्र

प्रश्न 13

जैन साहित्य "हरिवंश पुराण" किस विषय से संबंधित है?

a) महावीर के जीवन की गाथा

b) पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाएं

c) तपस्या के नियम

d) संघ का गठन

उत्तर: b) पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाएं

प्रश्न 14

"भद्रबाहु चरित" का संबंध किस भाषा से है?

a) प्राकृत

b) संस्कृत

c) अपभ्रंश

d) पालि

उत्तर: b) संस्कृत

प्रश्न 15

जैन साहित्य में "दशवैकालिक सूत्र" किसका वर्णन करता है?

a) तपस्या के नियम

b) भिक्षुओं के दैनिक नियम

c) दर्शन और तर्क

d) कर्म का सिद्धांत

उत्तर: b) भिक्षुओं के दैनिक नियम

प्रश्न 16

"भक्तामर स्तोत्र" का रचयिता कौन है?

a) उमास्वामी

b) भद्रबाहु

c) मणतुंग

d) हेमचंद्र

उत्तर: c) मणतुंग

प्रश्न 17

जैन ग्रंथ "परिशिष्टपर्वन" किसने लिखा?

a) हरिवंश

b) हेमचंद्र

c) कुंदकुंद

d) उमास्वामी

उत्तर: b) हेमचंद्र

प्रश्न 18

"नंदिसूत्र" का संबंध किससे है?

a) तपस्या के प्रकार

b) कर्म के नियम

c) संघ की संरचना

d) भिक्षुओं का प्रशिक्षण

उत्तर: d) भिक्षुओं का प्रशिक्षण

प्रश्न 19

जैन धर्म के "चूलिका सूत्र" किस विषय से संबंधित हैं?

a) तप और ध्यान

b) संघ के नियम

c) दर्शन और तर्क

d) भिक्षुओं के कर्तव्य

उत्तर: a) तप और ध्यान

प्रश्न 20

जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय में अंग साहित्य क्यों अनुपलब्ध है?

a) विनाश के कारण

b) भौतिक रूप से संरक्षित न रहना

c) दिगंबर मान्यताओं के अनुसार, ये साहित्य कभी लिखित नहीं हुए

d) श्वेतांबरों द्वारा नष्ट किया गया

उत्तर: c) दिगंबर मान्यताओं के अनुसार, ये साहित्य कभी लिखित नहीं हुए








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