प्राचीन भारतीय मूर्तिकला-कला और संस्कृति upsc mains gs paper-1
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- Nov 24, 2024
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मूर्तिकला: प्राचीन भारतीय कला और संस्कृति
भारतीय मूर्तिकला भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। यह धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विचारों को व्यक्त करती है। मौर्य काल से लेकर गुप्त, चोल, खजुराहो, एलोरा, और अजंता तक, भारतीय मूर्तिकला में विविधता और गहराई देखने को मिलती है। नीचे इसके महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण किया गया है:
मौर्य काल की मूर्तिकला (321-185 BCE)

मौर्य काल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण दौर था, जिसमें कला और संस्कृति का अभूतपूर्व विकास हुआ। मौर्य काल की मूर्तिकला मुख्यतः धार्मिक, राजकीय और सामाजिक उद्देश्यों से प्रेरित थी। इस काल की मूर्तियां भारतीय कला के विकास में एक आधारशिला हैं।
विशेषताएँ
प्राकृतिकता: मौर्य काल की मूर्तिकला में प्राकृतिकता का विशेष ध्यान रखा गया था। मूर्तियों में मानव आकृतियों और जानवरों की प्राकृतिक रूपरेखा को उकेरा गया था।
विस्तृत नक्काशी: मूर्तियों पर विस्तृत नक्काशी की गई थी, जिसमें ज्यामितीय डिज़ाइन और धार्मिक प्रतीकों का समावेश था।
धार्मिक प्रभाव: मौर्य काल की मूर्तिकला में बौद्ध धर्म का विशेष प्रभाव देखा जा सकता है। अशोक महान के शासनकाल में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ और इसके परिणामस्वरूप बौद्ध मूर्तिकला का विकास हुआ।
प्रमुख मूर्तिकला उदाहरण
1. अशोक स्तंभ:
मौर्य काल की सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकला।
विशेषताएं:
बेलनाकार स्तंभ, ऊपर शिलापट और शीर्ष पर जानवरों की मूर्तियां।
पत्थरों पर उत्कृष्ट पॉलिश।
प्रमुख उदाहरण:
सारनाथ का सिंह शीर्ष:
चार शेरों की आकृति।
धर्मचक्र और अशोक चिह्न।
वैशाली का सिंह स्तंभ।
संकिसा और रामपुरवा का बैल शीर्ष।
2. यक्ष-यक्षिणी मूर्तियां:
लोक धर्म और प्रकृति पूजा के प्रतीक।
विशेषताएं:
प्राकृतिक सौंदर्य, वस्त्र, और अलंकरण।
दीदारगंज यक्षिणी:
बलुआ पत्थर पर उत्कृष्ट पॉलिश।
शृंगार और गरिमा का प्रतीक।
अन्य उदाहरण: पार्कम यक्ष, बेसनगर यक्ष।
3. स्तूप निर्माण:
बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए।
प्रमुख उदाहरण:
सांची स्तूप:
प्रारंभिक संरचना मौर्य काल में निर्मित।
भरहुत स्तूप:
नक़्क़ाशी और सजावट के प्रारंभिक उदाहरण।
4. जीव-जंतुओं की मूर्तियां:
शेर, हाथी, और बैल जैसे जानवर।
प्रतीकात्मकता:
शेर: शक्ति और राजधर्म।
हाथी: बौद्ध धर्म का प्रतीक।
मौर्य मूर्तिकला का महत्व
कला का विकास:
पॉलिश तकनीक और यथार्थवाद।
गुप्तकाल और बाद की कला पर गहरा प्रभाव।
धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव:
बौद्ध और जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में योगदान।
लोक देवताओं का चित्रण।
राजनीतिक प्रभाव:
अशोक के स्तंभों ने साम्राज्य की शक्ति और एकता का प्रदर्शन किया।
प्रतीकात्मकता:
जानवरों और धर्मचक्र के माध्यम से आध्यात्मिक संदेश।
निष्कर्ष
मौर्य काल की मूर्तिकला भारतीय कला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह कला की तकनीकी और भावनात्मक अभिव्यक्ति का समृद्ध उदाहरण है
2.गुप्त काल की मूर्तिकला(GUPTA PERIOD SCULPTURE)*4th-6th Century CE
गुप्त काल को भारतीय कला और संस्कृति का "स्वर्ण युग" कहा जाता है। इस काल में मूर्तिकला ने उच्चतम स्तर की परिपक्वता प्राप्त की, जिसमें आध्यात्मिकता, सौंदर्य और यथार्थ का अद्भुत समन्वय देखा गया।गुप्त काल (320-550 CE) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग था, जिसमें कला और संस्कृति का विशेष विकास हुआ। इस काल की मूर्तिकला ने भारतीय कला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ गुप्त काल की मूर्तिकला के कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:
गुप्त काल की मूर्तिकला का परिचय
गुप्त काल की मूर्तिकला में धार्मिक और सांस्कृतिक तत्वों का समावेश था। इस काल की मूर्तिकला में हिंदू, बौद्ध, और जैन धर्म का विशेष प्रभाव देखा जा सकता है। इस काल की मूर्तिकला में मानव आकृतियों और देवी-देवताओं की मूर्तियों का प्रमुख स्थान था।
प्रमुख मूर्तिकला
सारनाथ का बुद्ध: सारनाथ में स्थित बुद्ध की मूर्ति गुप्त काल की प्रमुख मूर्तिकला का उदाहरण है। यह मूर्ति ध्यान मुद्रा में है और इसमें बुद्ध के चेहरे पर शांति और करुणा का भाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
उदयगिरि की गुफाएँ: उदयगिरि की गुफाएँ गुप्त काल की महत्वपूर्ण मूर्तिकला का उदाहरण हैं। इन गुफाओं में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और धार्मिक दृश्य उकेरे गए हैं।
मथुरा की मूर्तियाँ: मथुरा गुप्त काल की मूर्तिकला का एक प्रमुख केंद्र था। यहाँ की मूर्तियों में भगवान विष्णु, शिव, और देवी लक्ष्मी की मूर्तियाँ प्रमुख हैं।
गुप्त काल की मूर्तिकला की विशेषताएं
प्राकृतिकता: गुप्त काल की मूर्तिकला में प्राकृतिकता का विशेष ध्यान रखा गया था। मूर्तियों में मानव आकृतियों और देवी-देवताओं की प्राकृतिक रूपरेखा को उकेरा गया था।
विस्तृत नक्काशी: मूर्तियों पर विस्तृत नक्काशी की गई थी, जिसमें ज्यामितीय डिज़ाइन और धार्मिक प्रतीकों का समावेश था।
धार्मिक प्रभाव: गुप्त काल की मूर्तिकला में हिंदू, बौद्ध, और जैन धर्म का विशेष प्रभाव देखा जा सकता है। इस काल की मूर्तिकला में धार्मिक और सांस्कृतिक तत्वों का समावेश था
1.मटेरियल (सामग्री):
संगमरमर, बलुआ पत्थर, और धातु का उपयोग।
2.प्रतिमाओं का परिमाण:
भगवान बुद्ध, विष्णु, शिव, देवी, और तीर्थंकरों की छोटी और बड़ी मूर्तियां।
3.पवित्र ग्रंथों पर आधारित मूर्तियां:
पुराणों, महाकाव्यों और धर्मशास्त्रों से प्रेरित।
गुप्त काल की प्रमुख मूर्तियां और उनके उदाहरण
1. बौद्ध मूर्तिकला
सारनाथ बुद्ध प्रतिमा:
ध्यान मुद्रा में बुद्ध।
धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण।
चेहरा शांत और करुणा से भरपूर।
बोधिसत्व की मूर्तियां:
जीवंत और अलंकरणयुक्त।
2. हिंदू मूर्तिकला
भगवान विष्णु:
गढ़वा और मथुरा से प्राप्त मूर्तियां।
शांत मुद्रा और चार भुजाओं में विभिन्न आयुध।
शिव की मूर्तियां:
शिव लिंग और नटराज रूप।
शिव-पार्वती की मूर्तियों में संतुलन और सौंदर्य।
देवी मूर्तियां:
दुर्गा और लक्ष्मी के सौम्य और सशक्त रूप।
3. जैन मूर्तिकला
तीर्थंकरों की शांत और साधना मुद्रा में मूर्तियां।
प्रसिद्ध स्थान: देवगढ़, मध्य प्रदेश।
4. गुफा मूर्तिकला और मंदिर मूर्तिकला
उदयगिरि की गुफाएं:
विष्णु की "वराह अवतार" मूर्ति:
पृथ्वी का उद्धार करते हुए।
अलंकरण और कथा का सुंदर चित्रण।
एलोरा और अजंता की मूर्तियां:
गुप्त काल की परंपराओं से प्रभावित।
अजंता की गुफाओं में बुद्ध की शांत और ध्यानमग्न प्रतिमाएं।
5. मंदिर मूर्तिकला
देवगढ़ का दशावतार मंदिर:
भगवान विष्णु की मूर्तियां।
पत्थरों पर महीन नक़्क़ाशी।
गुप्त मूर्तिकला का महत्व
1. सांस्कृतिक योगदान:
भारतीय कला में संतुलन, सरलता और सौंदर्य का मानक स्थापित।
धर्म और कला का गहन समन्वय।
2. तकनीकी प्रगति:
मूर्तियों में सही अनुपात और मुद्रा।
धातु और पत्थर पर उत्कृष्ट पॉलिश।
3. धार्मिक प्रभाव:
बौद्ध, हिंदू और जैन धर्मों के समन्वय को मूर्तियों में दर्शाया गया।
धर्म का प्रचार-प्रसार।
4. वैश्विक प्रभाव:
भारत के बाहर, विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में मूर्तिकला पर गुप्त शैली का प्रभाव।
निष्कर्ष
गुप्त काल की मूर्तिकला भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक भावनाओं को अभिव्यक्त करती है, बल्कि भारतीय समाज के सांस्कृतिक और तकनीकी प्रगति को भी दर्शाती है।
3.चोल काल की मूर्तिकला Chola period sculpture (850-1250 CE)
चोल साम्राज्य (9वीं से 13वीं शताब्दी) दक्षिण भारत के तमिल क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति थी, जिसे कला, वास्तुकला और मूर्तिकला के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाना जाता है। चोल काल की मूर्तिकला भारत की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कला मुख्य रूप से धार्मिक और भक्ति परंपरा से प्रेरित थी, और इसे मंदिरों के निर्माण में देखा जा सकता है।

विशेषताएँ
धार्मिक विषयवस्तु
अधिकांश मूर्तियां हिंदू धर्म से संबंधित थीं, विशेष रूप से शिव, विष्णु, दुर्गा, लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं की।
नटराज (शिव का नृत्य रूप) चोल काल की सबसे प्रसिद्ध मूर्ति है, जो शिव को ब्रह्मांडीय नृत्य करते हुए दर्शाती है।
कांस्य मूर्तिकला
चोल काल की कांस्य मूर्तियां अपनी तकनीकी उत्कृष्टता और सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।
"लॉस्ट वैक्स प्रोसेस" (मधुचा विधि) का उपयोग किया गया।
इन मूर्तियों में देवताओं की विभिन्न मुद्राओं को दर्शाया गया, जैसे अभय मुद्रा, वरद मुद्रा।
विवरण और यथार्थता
चोल मूर्तिकला में शरीर के अंगों का सूक्ष्म और यथार्थवादी चित्रण देखा जाता है।
आभूषण, परिधान और बालों का बारीकी से अंकन।
भक्ति और जीवन्तता
मूर्तियों में भक्ति और आध्यात्मिकता का भाव स्पष्ट रूप से झलकता है।
यह भक्ति आंदोलन की भावना का प्रतीक है।
मंदिरों में स्थान
मूर्तियां मुख्य रूप से मंदिरों में रखी जाती थीं।
बृहदेश्वर मंदिर (तंजावुर), गंगईकोंडचोलपुरम और एयरावतेश्वर मंदिर इस काल की मूर्तिकला के अद्वितीय उदाहरण हैं।
प्रमुख उदाहरण
नटराज
शिव के नृत्य रूप को दर्शाती यह मूर्ति चोल कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
इसमें शिव को ब्रह्मांडीय नृत्य मुद्रा में चार भुजाओं के साथ दर्शाया गया है।
विष्णु और लक्ष्मी मूर्तियां
विष्णु को विभिन्न अवतारों (वराह, नरसिंह, वामन) में दिखाया गया है।
लक्ष्मी की मूर्तियां स्त्री सौंदर्य और मातृत्व को दर्शाती हैं।
शैव मूर्तियां
शिवलिंग, नंदी और पार्वती की मूर्तियां प्रमुख हैं।
चोल मूर्तिकला का प्रभाव
दक्षिण भारत के अलावा श्रीलंका, इंडोनेशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया तक इसका प्रभाव पड़ा।
तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
निष्कर्ष;
चोल काल की मूर्तिकला भारतीय कला के सुनहरे युग का प्रतिनिधित्व करती है। यह न केवल तकनीकी कौशल बल्कि आध्यात्मिक संवेदनशीलता का भी अद्वितीय उदाहरण है।
4.खजुराहो की मूर्तिकला
खजुराहो के मंदिर मध्यकालीन भारत की उत्कृष्ट मूर्तिकला और स्थापत्य कला के अद्वितीय उदाहरण हैं। 10वीं और 12वीं शताब्दी के बीच, ये मंदिर चंदेल वंश के शासकों द्वारा मध्य प्रदेश के खजुराहो क्षेत्र में निर्मित किए गए। खजुराहो की मूर्तियां भारतीय कला और संस्कृति के उत्कर्ष को दर्शाती हैं और यह स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल है।

मुख्य विशेषताएं
मूर्तिकला की विविधता
मूर्तियां धार्मिक, लौकिक और कामुक विषयों का समावेश करती हैं।
धार्मिक मूर्तियां देवी-देवताओं, उनकी मिथकीय कहानियों और भक्ति परंपरा को चित्रित करती हैं।
लौकिक मूर्तियां मानव जीवन की गतिविधियों, संगीत, नृत्य और सामाजिक परंपराओं को दर्शाती हैं।
कामुक मूर्तियां कामसूत्र के सिद्धांतों से प्रेरित हैं और मानव शरीर की सुंदरता को प्रदर्शित करती हैं।
सूक्ष्मता और सौंदर्य
मूर्तियों में शरीर की मांसलता, लयात्मक मुद्रा और अभिव्यक्ति का गहन चित्रण किया गया है।
इन्हें बेहद सजीव और यथार्थ रूप में बनाया गया है, जिसमें हर अंग का सुंदरता से अंकन है।
मंदिरों की वास्तुकला और मूर्तियों का संबंध
खजुराहो के मंदिर नागर शैली में बने हैं।
मुख्य मंदिर गर्भगृह, मण्डप और शिखर से युक्त हैं।
मूर्तियां मंदिर के बाहरी और भीतरी हिस्सों में सजावट के रूप में उपयोग की गई हैं।
कामुकता और आध्यात्मिकता का संगम
खजुराहो की मूर्तियां यौनता को एक प्राकृतिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया के रूप में चित्रित करती हैं।
यह काम और मोक्ष (अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष) के भारतीय दर्शन के संतुलन को दर्शाती हैं।
प्राकृतिक और सामाजिक जीवन का चित्रण
नृत्य, संगीत, युद्ध, प्रेम और खेल जैसे विषयों पर आधारित मूर्तियां।
पशु-पक्षियों और प्रकृति के चित्रण से इन मूर्तियों को जीवंत बनाया गया है।
प्रमुख मंदिर
कंदरिया महादेव मंदिर
सबसे बड़ा और सबसे भव्य मंदिर।
शिव को समर्पित, इसकी मूर्तियां देवी-देवताओं, अप्सराओं और मिथकीय कथाओं पर आधारित हैं।
लक्ष्मण मंदिर
विष्णु को समर्पित।
इसमें धार्मिक और लौकिक मूर्तियों का अद्वितीय संयोजन है।
चतुर्भुज मंदिर
विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप को समर्पित।
इसके मूर्तियां आध्यात्मिकता और भक्ति भावना को प्रकट करती हैं।
देवी जगदंबी मंदिर
इसमें कामुक और लौकिक विषयों की मूर्तियां प्रमुखता से देखी जाती हैं।
खजुराहो मूर्तिकला का महत्व
भारतीय कला का उत्कर्ष
खजुराहो की मूर्तिकला कला और वास्तुकला का उत्कृष्ट संयोजन है।
सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक
मूर्तियां चंदेल काल के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिवेश को समझने का माध्यम हैं।
भक्ति और सौंदर्य का संतुलन
मूर्तिकला भक्ति के साथ-साथ मानव जीवन के लौकिक पहलुओं का भी सम्मान करती है।
वैश्विक आकर्षण
खजुराहो की मूर्तियां भारतीय कला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाती हैं।
निष्कर्ष
खजुराहो की मूर्तिकला भारतीय कला और दर्शन का अद्भुत उदाहरण है। यह मानव जीवन के लौकिक और आध्यात्मिक पहलुओं का संगम प्रस्तुत करती है।
5.एलोरा और अजंता की मूर्तिकला
एलोरा और अजंता की मूर्तिकला
एलोरा और अजंता की मूर्तिकला भारतीय कला और संस्कृति के दो महान प्रतीक हैं। ये गुफाएँ न केवल स्थापत्य कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण हैं, बल्कि भारतीय धार्मिक, सांस्कृतिक और कलात्मक परंपरा का भी प्रतीक हैं।
अजंता की मूर्तिकला
अजंता गुफाएं (2nd शताब्दी BCE से 5th शताब्दी CE) महाराष्ट्र में स्थित हैं और बौद्ध कला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
विशेषताएं
बौद्ध धर्म का प्रभाव
मुख्यतः महायान और हीनयान बौद्ध धर्म से प्रेरित।
मूर्तियां गौतम बुद्ध, बोधिसत्वों और जटिल प्रतीकवाद को दर्शाती हैं।
ध्यान और भक्ति
मूर्तियां ध्यान और शांति का भाव प्रस्तुत करती हैं।
बुद्ध की विभिन्न मुद्राएं (ध्यान मुद्रा, अभय मुद्रा, धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा) प्रमुख हैं।
यथार्थवादी चित्रण
शरीर का सूक्ष्म और सजीव विवरण।
चेहरे की अभिव्यक्ति में गहराई और संवेदनशीलता।
प्रमुख मूर्तियां
महापरिनिर्वाण बुद्ध: भगवान बुद्ध को अंतिम निर्वाण अवस्था में दर्शाने वाली मूर्ति।
सर्प मूर्ति: बोधिसत्व अवलोकितेश्वर को दर्शाने वाली अद्भुत मूर्ति।
अन्य विवरण
मूर्तियों को गुफा के स्तंभों, दीवारों और चैत्यगृहों में उकेरा गया है।
एलोरा की मूर्तिकला
एलोरा गुफाएं (6th से 10th शताब्दी CE) महाराष्ट्र में स्थित हैं और हिंदू, बौद्ध, और जैन धर्म की समृद्ध मूर्तिकला को प्रदर्शित करती हैं।
विशेषताएं
धार्मिक समन्वय
हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के देवताओं और मिथकों को मूर्तियों में उकेरा गया है।
यह धर्मों के बीच सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।
विस्तृत और भव्य मूर्तियां
मूर्तियां विशाल और जटिल हैं।
कैलाश मंदिर की मूर्तियां एलोरा की कला का शिखर हैं।
प्रमुख मूर्तियां
कैलाशनाथ मंदिर: शंकर को समर्पित, इस मंदिर की मूर्तियां महाभारत और रामायण की घटनाओं को दर्शाती हैं।
रावण द्वारा कैलाश पर्वत उठाना: एक भव्य मूर्ति, जिसमें रावण की शक्ति और शिव की महिमा को दर्शाया गया है।
जैन तीर्थंकर: जैन गुफाओं में बारीक और शांतिपूर्ण मूर्तियां।
तकनीकी विशेषताएं
एक ही पत्थर को काटकर मूर्तियों और मंदिरों का निर्माण किया गया।
मूर्तियों में गहराई, परिप्रेक्ष्य और यथार्थवादी छवि का विशेष ध्यान रखा गया।
अजंता और एलोरा की मूर्तिकला का महत्व
धार्मिक और आध्यात्मिक योगदान
यह भारतीय धर्मों के मूल तत्वों को समझने का स्रोत है।
भक्ति, ध्यान, और मोक्ष के विचार इन मूर्तियों में समाहित हैं।
कलात्मक उत्कृष्टता
मूर्तिकला में गहराई, यथार्थवाद और संवेदनशीलता का अद्भुत समावेश।
पत्थर को काटने और उकेरने की तकनीक का उत्कृष्ट प्रदर्शन।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान
अजंता और एलोरा की मूर्तियां भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि को दर्शाती हैं।
यूनेस्को विश्व धरोहर
अजंता और एलोरा दोनों स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
निष्कर्ष;
अजंता और एलोरा की मूर्तिकला भारतीय कला और संस्कृति का गौरव हैं। यह न केवल स्थापत्य और मूर्तिकला में प्रवीणता का परिचायक है, बल्कि भारतीय दर्शन और धार्मिक सोच का भी प्रतीक है।
यहां प्राचीन भारतीय मूर्तिकला और संबंधित कालों के आधार पर UPSC मुख्य परीक्षा के लिए 6 संभावित प्रश्न दिए गए हैं:
1. प्राचीन भारतीय मूर्तिकला: एक अवलोकन
प्रश्न: प्राचीन भारतीय मूर्तिकला भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को कैसे दर्शाती है? मौर्य काल से लेकर चोल काल तक की प्रमुख विशेषताओं की तुलना करें।
2. मौर्य काल की मूर्तिकला
प्रश्न: मौर्य काल की मूर्तिकला, विशेष रूप से अशोक स्तंभों और यक्ष-यक्षिणी मूर्तियों के माध्यम से, तत्कालीन राजनीतिक और धार्मिक परिवेश को कैसे व्यक्त करती है?
3. गुप्त काल की मूर्तिकला
प्रश्न: गुप्त काल को भारतीय मूर्तिकला का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है? इस काल की मूर्तियों की विशेषताओं और उनके धार्मिक महत्व की चर्चा करें।
4. चोल काल की मूर्तिकला
प्रश्न: चोल काल की कांस्य मूर्तियां भारतीय मूर्तिकला की उत्कृष्टता का प्रतिनिधित्व करती हैं। 'नटराज' की मूर्ति को उदाहरण के रूप में लेते हुए, चोल मूर्तिकला की तकनीकी और धार्मिक विशेषताओं का विश्लेषण करें।
5. खजुराहो की मूर्तिकला
प्रश्न: खजुराहो की मूर्तिकला लौकिक और आध्यात्मिक जीवन के अद्वितीय संगम को दर्शाती है। इस कथन की पुष्टि करें और खजुराहो की मूर्तिकला की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।
6. एलोरा और अजंता की मूर्तिकला
प्रश्न: एलोरा और अजंता की मूर्तिकला भारतीय धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक हैं। इस संदर्भ में इन गुफाओं की मूर्तिकला की विशेषताओं और महत्व पर प्रकाश डालें।
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प्राचीन भारतीय मूर्तिकला: UPSC Prelims के लिए 20 MCQs
1. प्राचीन भारतीय मूर्तिकला
प्राचीन भारतीय मूर्तिकला में 'गोल आकृतियों' की परंपरा कब शुरू हुई?
(a) मौर्य काल
(b) कुषाण काल
(c) गुप्त काल
(d) मौर्य-पूर्व काल
उत्तर: (a) मौर्य काल
भारतीय मूर्तिकला में यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियां किस काल से संबंधित हैं?
(a) गुप्त काल
(b) मौर्य काल
(c) चोल काल
(d) संगम काल
उत्तर: (b) मौर्य काल
भारतीय मूर्तिकला के विकास में बौद्ध स्तूप की मूर्तियां किस प्रकार सहायक थीं?
(a) स्थापत्य कला में विविधता लाने में
(b) धार्मिक प्रतीकवाद को बढ़ावा देने में
(c) सामाजिक विषयों को चित्रित करने में
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
2. मौर्य काल की मूर्तिकला
अशोक स्तंभ की राजधानी किस जानवर का प्रतीक है?
(a) हाथी
(b) सिंह
(c) बैल
(d) घोड़ा
उत्तर: (b) सिंह
सांची स्तूप का निर्माण किसने करवाया?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य
(b) अशोक
(c) बिंदुसार
(d) शुंग राजवंश
उत्तर: (b) अशोक
मौर्य काल की यक्षिणी मूर्तियां कहाँ पाई गई हैं?
(a) मथुरा
(b) पाटलिपुत्र
(c) दीदारगंज
(d) वैशाली
उत्तर: (c) दीदारगंज
3. गुप्त काल की मूर्तिकला
गुप्त काल में भगवान बुद्ध की मूर्तियों का प्रमुख निर्माण केंद्र कौन सा था?
(a) नालंदा
(b) सांची
(c) सारनाथ
(d) अजन्ता
उत्तर: (c) सारनाथ
गुप्त काल की मूर्तियों में मुख्य सामग्री क्या थी?
(a) संगमरमर
(b) बलुआ पत्थर
(c) ग्रेनाइट
(d) कांस्य
उत्तर: (b) बलुआ पत्थर
गुप्त काल में प्रसिद्ध 'ध्यान मुद्रा' की मूर्ति किस देवता की है?
(a) विष्णु
(b) शिव
(c) बुद्ध
(d) ब्रह्मा
उत्तर: (c) बुद्ध
4. चोल काल की मूर्तिकला
चोल काल की प्रसिद्ध 'नटराज' मूर्ति किस धातु से बनी है?
(a) कांस्य
(b) सोना
(c) चांदी
(d) लोहे
उत्तर: (a) कांस्य
चोल मूर्तिकला का सबसे प्रमुख केंद्र कौन सा था?
(a) तंजावुर
(b) मदुरै
(c) महाबलीपुरम
(d) कांचीपुरम
उत्तर: (a) तंजावुर
'नटराज' की मुद्रा क्या दर्शाती है?
(a) ब्रह्मांडीय नृत्य
(b) ध्यान
(c) विजय
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (a) ब्रह्मांडीय नृत्य
5. खजुराहो की मूर्तिकला
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण किसने करवाया?
(a) चोल शासक
(b) चंदेल शासक
(c) पल्लव शासक
(d) गुप्त शासक
उत्तर: (b) चंदेल शासक
खजुराहो के मंदिरों में कौन सी वास्तुकला शैली प्रयुक्त हुई है?
(a) द्रविड़
(b) नागर
(c) वेसर
(d) मिश्रित
उत्तर: (b) नागर
खजुराहो के मंदिर किस देवता को समर्पित हैं?
(a) शिव और विष्णु
(b) बुद्ध
(c) जैन तीर्थंकर
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
6. एलोरा और अजंता की मूर्तिकला
एलोरा की गुफाएं किस धर्म से संबंधित हैं?
(a) बौद्ध
(b) हिंदू
(c) जैन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
अजंता गुफाओं में मुख्य सामग्री क्या है?
(a) ग्रेनाइट
(b) बलुआ पत्थर
(c) बेसाल्ट
(d) चूना पत्थर
उत्तर: (c) बेसाल्ट
एलोरा के कैलाश मंदिर का निर्माण किसने करवाया?
(a) चोल शासक
(b) राष्ट्रकूट शासक
(c) पल्लव शासक
(d) चंदेल शासक
उत्तर: (b) राष्ट्रकूट शासक
अजंता गुफाओं की मूर्तियां किस धर्म पर आधारित हैं?
(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) हिंदू धर्म
(d) मिश्रित
उत्तर: (a) बौद्ध धर्म
एलोरा और अजंता गुफाओं को किस प्रकार की वास्तुकला में शामिल किया गया है?
(a) कटी-हुई चट्टान वास्तुकला
(b) नागर शैली
(c) द्रविड़ शैली
(d) वेसर शैली
उत्तर: (a) कटी-हुई चट्टान वास्तुकला
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