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मिट्टी के बर्तनों-कला और संस्कृति upsc mains gs paper-1


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मिट्टी के बर्तन

मिट्टी के बर्तन (Pottery) भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं। यह कला न केवल हमारे प्राचीन इतिहास और जीवनशैली का प्रतिनिधित्व करती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संरचना का भी हिस्सा है.

मिट्टी के बर्तनों का ऐतिहासिक महत्व

  1. सिन्धु घाटी सभ्यता (Harappan Civilization):

    • मिट्टी के बर्तन पहली बार सिंधु घाटी सभ्यता में विकसित हुए।

    • रंगीन और चित्रित बर्तन, जैसे कि ब्लैक-एंड-रेड वेयर, उस समय की तकनीकी प्रगति को दर्शाते हैं।

    • इन बर्तनों पर चित्रित पशु आकृतियां, ज्यामितीय डिजाइन और धार्मिक प्रतीक।

  2. वैदिक और मौर्य काल:

    • ग्रे वेयर और नॉर्दर्न ब्लैक पॉलिश्ड वेयर (NBPW) जैसी शैलियां विकसित हुईं।

    • मिट्टी के बर्तन मुख्यतः अनाज संग्रहण, खाना पकाने और धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते थे।

  3. मध्यकालीन और आधुनिक काल:

    • मुगल काल में मिट्टी के बर्तनों में इस्लामिक डिजाइन और फारसी शैली का समावेश।

    • विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट शैलियां विकसित हुईं, जैसे राजस्थान का ब्लू पॉटरी।


मुख्य प्रकार के मिट्टी के बर्तन

1. गेरू रंग के बर्तन (Ochre-Coloured Pottery, OCP):


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  • काल: 2,000-1,500 BCE (पूर्व लौह युग)।

  • स्थान: गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र।

  • विशेषताएं:

    • बर्तनों का रंग गेरू (लाल या मटमैला) होता है।

    • साधारण डिजाइन और बिना चमक वाले।

    • मुख्यतः घरेलू उपयोग के लिए बनाए गए।

  • महत्व:

    • सिंधु घाटी सभ्यता के बाद उत्तर भारतीय सभ्यताओं के बीच का पुल।

2. काले और लाल बर्तन (Black and Red Ware, BRW):


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  • काल: 1,500-1,000 BCE (वैदिक काल)।

  • स्थान: मध्य भारत, पश्चिम बंगाल, गुजरात।

  • विशेषताएं:

    • बर्तनों का अंदरूनी हिस्सा काला और बाहरी हिस्सा लाल होता है।

    • चमकदार सतह और सरल ज्यामितीय डिजाइन।

    • मुख्यतः खाना पकाने और अनाज संग्रह के लिए।

  • महत्व:

    • वैदिक समाज के घरेलू जीवन का चित्रण।

3. चित्रित ग्रे बर्तन (Painted Grey Ware, PGW):


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  • काल: 1,000-600 BCE (महाकाव्य काल)।

  • स्थान: गंगा घाटी और यमुना घाटी।

  • विशेषताएं:

    • हल्के भूरे रंग के बर्तन, जिन पर काले रंग से ज्यामितीय आकृतियां चित्रित होती थीं।

    • मुख्यतः उच्च वर्ग के उपयोग के लिए।

    • अनाज भंडारण, धार्मिक अनुष्ठान और द्रव्य रखने के लिए।

  • महत्व:

    • महाभारत और रामायण काल की सभ्यता का प्रतिनिधित्व।

4. उत्तरी काले पॉलिश बर्तन (Northern Black Polished Ware, NBPW):


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  • काल: 700-200 BCE (मौर्य काल)।

  • स्थान: गंगा घाटी, बिहार, उत्तर प्रदेश।

  • विशेषताएं:

    • काले और चमकदार सतह वाले बर्तन।

    • धातु की तरह दिखने वाले, उच्च तापमान पर पकाए जाते थे।

    • मुख्यतः उच्च वर्ग और शाही उपयोग के लिए।

  • महत्व:

    • शाही संस्कृति और व्यापारिक सभ्यता का प्रतीक।

    • मौर्यकालीन आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को दर्शाते हैं।

5. चमकदार और बिना चमक वाले बर्तन:

  • चमकदार बर्तन:

    • सतह को पॉलिश कर के चमकदार बनाया जाता था।

    • उच्च वर्ग और सजावटी उपयोग के लिए।

  • बिना चमक वाले बर्तन:

    • साधारण उपयोग, जैसे पानी संग्रह, खाना पकाना।

    • अधिकतर ग्रामीण और निम्न वर्ग द्वारा उपयोग में लाए गए।

मिट्टी के बर्तनों का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

  1. धार्मिक उपयोग:

    • पूजा-पाठ और अनुष्ठानों में कलश, दीये, और मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग।

  2. सामाजिक संरचना का प्रतीक:

    • बर्तनों की गुणवत्ता और प्रकार से वर्ग भेद का पता चलता है।

  3. आर्थिक और व्यापारिक महत्व:

    • प्राचीन व्यापार में मिट्टी के बर्तन मुख्य वस्तु थे।

    • भारतीय मिट्टी के बर्तनों का मध्य एशिया और रोमन साम्राज्य में निर्यात।

  4. पर्यावरण अनुकूलता:

    • मिट्टी के बर्तन जैव-अवक्रमणीय होते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में मिट्टी के बर्तन

  1. संरक्षण और पुनरुद्धार:

    • पारंपरिक कारीगरों के लिए सरकारी योजनाएं, जैसे "हस्तशिल्प विकास योजना"।

    • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन।

  2. चुनौतियां:

    • प्लास्टिक और अन्य सस्ते विकल्पों का बढ़ता उपयोग।

    • पारंपरिक तकनीकों का लुप्त होना।

  3. नवाचार:

    • नए डिजाइनों और तकनीकों के साथ मिट्टी के बर्तनों का पुनरुद्धार।

    • शहरी बाजारों में सजावटी बर्तनों की बढ़ती मांग।

निष्कर्ष

मिट्टी के बर्तन भारत की प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। ये न केवल हमारे अतीत की झलक दिखाते हैं, बल्कि पारिस्थितिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। पारंपरिक कारीगरों और मिट्टी की इस कला को संरक्षित करना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है। आधुनिक तकनीक और डिजाइनों के साथ इन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाना आवश्यक है।




प्रश्न:1 गेरू रंग के बर्तनों (OCP) के प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • (a) लाल रंग की पेंटिंग

  • (b) काले रंग के बर्तन

  • (c) गेरू रंग के बर्तन और सरल डिजाइन

  • (d) नीले रंग के बर्तन


    उत्तर: (c) गेरू रंग के बर्तन और सरल डिजाइन


प्रश्न:2 काले और लाल बर्तनों (BRW) का प्रमुख उत्पादन क्षेत्र कहाँ था?

  • (a) उत्तर भारत

  • (b) दक्षिण भारत

  • (c) पश्चिम भारत

  • (d) पूर्वी भारत


    उत्तर: (a) उत्तर भारत


प्रश्न:3 चित्रित ग्रे बर्तनों (PGW) पर किस प्रकार की आकृतियां पाई जाती हैं?

  • (a) धार्मिक प्रतीक

  • (b) ज्यामितीय डिजाइन और चित्रित आकृतियाँ

  • (c) मानव आकृतियां

  • (d) पशु आकृतियाँ


    उत्तर: (b) ज्यामितीय डिजाइन और चित्रित आकृतियाँ


प्रश्न:4 उत्तरी काले पॉलिश बर्तन (NBPW) का प्रमुख उपयोग किस काल में हुआ था?

  • (a) मौर्य काल

  • (b) गुप्त काल

  • (c) वैदिक काल

  • (d) हड़प्पा काल


    उत्तर: (a) मौर्य काल

5. काले और लाल बर्तन (BRW) किस काल में विकसित हुए थे?

  • (a) महाकाव्य काल

  • (b) वैदिक काल

  • (c) मौर्य काल

  • (d) हड़प्पा काल


    उत्तर: (b) वैदिक का

6. चित्रित ग्रे बर्तन (PGW) का प्रमुख रूप किस तरह का था?


  • (a) चमकदार

  • (b) धूसर रंग

  • (c) लाल और काले रंग

  • (d) हल्के भूरे रंग का


    उत्तर: (d) हल्के भूरे रंग का

7. उत्तरी काले पॉलिश बर्तन (NBPW) किसके लिए प्रसिद्ध थे?


  • (a) धार्मिक कार्यों के लिए

  • (b) व्यापारिक वस्तुएं

  • (c) जल संचयन के लिए

  • (d) सजावटी उद्देश्यों के लिए


    उत्तर: (a) धार्मिक कार्यों के लिए

8. चमकदार और बिना चमकदार बर्तन में अंतर क्या है?


  • (a) चमकदार बर्तन पॉलिश किए जाते हैं, जबकि बिना चमकदार बर्तन साधारण होते हैं।

  • (b) बिना चमकदार बर्तन बड़े होते हैं, जबकि चमकदार छोटे होते हैं।

  • (c) चमकदार बर्तन केवल धार्मिक कार्यों के लिए होते हैं।

  • (d) बिना चमकदार बर्तन केवल ग्रामीण क्षेत्रों में होते हैं।


    उत्तर: (a) चमकदार बर्तन पॉलिश किए जाते हैं, जबकि बिना चमकदार बर्तन साधारण होते हैं।

9. गेरू रंग के बर्तन (OCP) के निर्माण के लिए प्रमुख सामग्री क्या थी?

  • (a) गेरू मिट्टी

  • (b) काले और लाल मिट्टी

  • (c) सफेद मिट्टी

  • (d) विशेष प्रकार के रेजिन


    उत्तर: (a) गेरू मिट्टी

10. काले और लाल बर्तन (BRW) का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाता था?

  • (a) धार्मिक अनुष्ठान

  • (b) भोजन पकाने और पानी संग्रहण

  • (c) सजावटी उद्देश्यों के लिए

  • (d) व्यापारिक उद्देश्यों के लिए


    उत्तर: (b) भोजन पकाने और पानी संग्रहण

11. चित्रित ग्रे बर्तन (PGW) किस समय की प्रमुख सांस्कृतिक विशेषता थे?

  • (a) मौर्य काल

  • (b) महाकाव्य काल

  • (c) हड़प्पा काल

  • (d) गुप्त काल


    उत्तर: (b) महाकाव्य काल

12. उत्तरी काले पॉलिश बर्तन (NBPW) का प्रमुख उपयोग क्या था?

  • (a) धार्मिक और शाही उपयोग

  • (b) जल संचयन

  • (c) खाद्यान्न संग्रह

  • (d) व्यापार में


    उत्तर: (a) धार्मिक और शाही उपयोग

13. काले और लाल बर्तन (BRW) में कौन सी विशेषता नहीं पाई जाती?

  • (a) लाल और काले रंग का मिश्रण

  • (b) अत्यधिक पॉलिश

  • (c) डिजाइन और आकार की सरलता

  • (d) ज्यामितीय चित्रण


    उत्तर: (b) अत्यधिक पॉलिश

14. चित्रित ग्रे बर्तन (PGW) किसके साथ संबंधित हैं?

  • (a) हड़प्पा सभ्यता

  • (b) मौर्य काल

  • (c) मध्यकालीन भारत

  • (d) महाभारत काल


    उत्तर: (d) महाभारत काल

15. उत्तरी काले पॉलिश बर्तन (NBPW) को किस प्रकार की सतह से पहचाना जाता है?

  • (a) चमकदार काले रंग

  • (b) लाल रंग

  • (c) धूसर रंग

  • (d) गेरू रंग


    उत्तर: (a) चमकदार काले रंग

16. गेरू रंग के बर्तनों (OCP) की विशिष्टता क्या थी?

  • (a) चमकदार सतह

  • (b) ज्यामितीय डिजाइन

  • (c) केवल काले रंग का प्रयोग

  • (d) बिना डिजाइन के साधारण बर्तन


    उत्तर: (d) बिना डिजाइन के साधारण बर्तन

17. काले और लाल बर्तन (BRW) के निर्माण के लिए प्रमुख स्थान क्या था?

  • (a) गंगा-यमुना दोआब

  • (b) सिंधु घाटी

  • (c) दक्षिण भारत

  • (d) मध्य भारत


    उत्तर: (a) गंगा-यमुना दोआब

18. उत्तरी काले पॉलिश बर्तन (NBPW) का प्रमुख उपयोग किस समुदाय द्वारा किया जाता था?

  • (a) शाही और उच्च वर्ग

  • (b) कुम्हार समुदाय

  • (c) व्यापारी वर्ग

  • (d) किसानों द्वारा


    उत्तर: (a) शाही और उच्च वर्ग

19. चमकदार बर्तन का निर्माण कैसे किया जाता था?

  • (a) उबालने के द्वारा

  • (b) पॉलिश करके

  • (c) कुम्हार द्वारा सजाकर

  • (d) हाथ से उकेरकर


    उत्तर: (b) पॉलिश करके

20. चित्रित ग्रे बर्तन (PGW) का मुख्य रूप से प्रयोग किस कार्य के लिए किया जाता था?

  • (a) पूजा कार्य

  • (b) भोजन पकाने और भंडारण

  • (c) सजावट

  • (d) व्यापारिक उद्देश्यों के लिए


    उत्तर: (b) भोजन पकाने और भंडारण


यूपीएससी मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न,


1. मिट्टी के बर्तनों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा करें।


 2.हड़प्पा सभ्यता में उपयोग किए गए मिट्टी के बर्तनों का विश्लेषण करें और उनके उपयोग के संदर्भ में व्याख्या करें।


3.काले और लाल बर्तन (BRW) के निर्माण और उपयोग पर प्रकाश डालें


4.भारत में मिट्टी के बर्तनों के विकास को विभिन्न कालों के संदर्भ में कैसे देखा जा सकता है?


5.आधुनिक भारतीय कुम्हार कला और प्राचीन मिट्टी के बर्तन बनाने की तकनीकों के बीच समानताएं और भिन्नताएँ क्या हैं?


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