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सामान्य अध्ययन-II, upsc gs paper 2 syllabus in hindi

Updated: Nov 11, 2024



भारतीय संविधान—ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधानऔरमूल संरचना.

  • संघ और राज्यों के कार्य और जिम्मेदारियाँ, संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर तक शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसमें चुनौतियाँ।

  • विभिन्न अंगों, विवाद निवारण तंत्रों और संस्थाओं के बीच शक्तियों का पृथक्करण।

  • भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।

  • संसद और राज्य विधानमंडल-संरचना, कार्यप्रणाली, कार्य संचालन, शक्तियां एवं विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

  • संरचना, संगठनऔर कार्यपालिका और न्यायपालिका का कामकाज-सरकार के मंत्रालय और विभाग; दबाव समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ और राजनीति में उनकी भूमिका।

  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं.

  • विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, शक्तियां, कार्य और विभिन्न संवैधानिक निकायों की जिम्मेदारियाँ।

  • वैधानिक, विनियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।

  • विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप तथा उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे।


  • विकास प्रक्रियाएं और विकास उद्योग - गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दाताओं, धर्मार्थ संस्थाओं, संस्थागत और अन्य हितधारकों की भूमिका।

  • केंद्र और राज्यों द्वारा जनसंख्या के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का प्रदर्शन; तंत्र, कानून, संस्थाएंऔरइन कमजोर वर्गों के संरक्षण और बेहतरी के लिए गठित निकाय।

  • स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

  • गरीबी और भुखमरी से संबंधित मुद्दे।

  • शासन, पारदर्शिता के महत्वपूर्ण पहलूऔरजवाबदेही, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं, सीमाएं और संभावनाएं; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता और जवाबदेही तथा संस्थागत और अन्य उपाय।

  • लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।

  • भारत और उसके पड़ोसी- संबंध।

  • भारत से संबंधित और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा समझौते।

  • विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का भारत के हितों पर प्रभाव, भारतीय प्रवासी।

  • महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं, एजेंसियांऔरमंच - उनकी संरचना, अधिदेश।





सिलेबस विस्तार मे,


1 .भारतीय संविधान—ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधानऔरमूल संरचना


1. भारतीय संविधान का ऐतिहासिक आधार:

  • भारतीय संविधान के विकास का ऐतिहासिक संदर्भ।

  • ब्रिटिश शासन के दौरान संवैधानिक विकास।

  • 1858 का भारत सरकार अधिनियम, 1909 का मोर्ले-मिंटो सुधार, 1919 का मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार, और 1935 का भारत सरकार अधिनियम।

2. संविधान सभा और संविधान का निर्माण:

  • संविधान सभा का गठन और कार्यप्रणाली।

  • संविधान सभा के प्रमुख सदस्य और उनके योगदान।

  • संविधान का प्रारूपण और स्वीकृति।

3. भारतीय संविधान की विशेषताएँ:

  • संविधान की प्रस्तावना।

  • मौलिक अधिकार और कर्तव्य।

  • राज्य के नीति निदेशक तत्व।

  • संघीय ढांचा और केंद्र-राज्य संबंध।

4. संविधान के महत्वपूर्ण प्रावधान:

  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और मंत्रिपरिषद।

  • संसद और उसकी कार्यप्रणाली।

  • न्यायपालिका और उसकी स्वतंत्रता।

  • राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और राज्य विधानमंडल।

5. संविधान संशोधन:

  • संविधान संशोधन की प्रक्रिया।

  • प्रमुख संविधान संशोधन और उनके प्रभाव।

  • संविधान संशोधन के लिए न्यायिक समीक्षा।

6. भारतीय संविधान की मूल संरचना:

  • मूल संरचना सिद्धांत और इसके महत्व।

  • केशवानंद भारती मामला और मूल संरचना सिद्धांत।

  • न्यायपालिका द्वारा मूल संरचना की सुरक्षा।

7. भारतीय संविधान का विकास:

  • संविधान के विकास में प्रमुख घटनाएँ और परिवर्तन।

  • संविधान के विकास में न्यायपालिका की भूमिका।

  • संविधान के विकास में विधायिका और कार्यपालिका की भूमिका।


2.संघ और राज्यों के कार्य और जिम्मेदारियाँ, संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर तक शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसमें चुनौतियाँ।


1 संघ और राज्यों के कार्य और जिम्मेदारियाँ:

  • संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन।

  • संघ सूची, राज्य सूची, और समवर्ती सूची।

  • संघ और राज्यों के बीच प्रशासनिक और वित्तीय संबंध।

  • संघ और राज्यों के बीच विवादों का समाधान।

2. संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ:

  • संघीय ढांचे की विशेषताएँ और महत्व।

  • संघीय ढांचे में संतुलन और असंतुलन।

  • संघीय ढांचे में सुधार की आवश्यकता।

  • संघीय ढांचे में राज्यों की भूमिका और अधिकार।

3. स्थानीय स्तर तक शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण:

  • पंचायती राज संस्थाएँ और नगर पालिकाएँ।

  • 73वां और 74वां संविधान संशोधन अधिनियम।

  • स्थानीय सरकारों के कार्य और जिम्मेदारियाँ।

  • स्थानीय सरकारों के वित्तीय संसाधन और चुनौतियाँ।

4. संघीय ढांचे में चुनौतियाँ:

  • संघ और राज्यों के बीच वित्तीय असंतुलन।

  • संघीय ढांचे में राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ।

  • संघीय ढांचे में सुधार के लिए सुझाव।


3.विभिन्न अंगों, विवाद निवारण तंत्रों और संस्थाओं के बीच शक्तियों का पृथक्करण


1. शक्तियों का पृथक्करण:

  • विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का विभाजन।

  • शक्तियों के पृथक्करण का महत्व और उद्देश्य।

  • शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत और इसके लाभ।

2. विवाद निवारण तंत्र:

  • न्यायिक समीक्षा और न्यायिक सक्रियता।

  • विवाद निवारण के विभिन्न तंत्र और संस्थाएँ।

  • विवाद निवारण तंत्र की कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता।

3. संस्थाओं के बीच शक्तियों का संतुलन:

  • विधायिका और कार्यपालिका के बीच संबंध।

  • कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संबंध।

  • विधायिका और न्यायपालिका के बीच संबंध।

4. संवैधानिक संस्थाएँ:

  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और मंत्रिपरिषद।

  • संसद और राज्य विधानमंडल।

  • उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय।

5. संवैधानिक निकाय:

  • निर्वाचन आयोग, वित्त आयोग, और संघ लोक सेवा आयोग।

  • नियंत्रक और महालेखा परीक्षक।

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य संवैधानिक निकाय।

6. विवाद निवारण के लिए संस्थाएँ:

  • लोकपाल और लोकायुक्त।

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग।

  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण।



4.भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।


1. भारतीय संविधान की विशेषताएँ:

  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, और राज्य के नीति निदेशक तत्व।

  • संघीय ढांचा और केंद्र-राज्य संबंध।

  • संविधान संशोधन की प्रक्रिया और न्यायिक समीक्षा।

2. अमेरिकी संविधान के साथ तुलना

  • अमेरिकी संविधान की विशेषताएँ और भारतीय संविधान के साथ समानताएँ और भिन्नताएँ।

  • संघीय ढांचे और शक्तियों के विभाजन की तुलना।

  • मौलिक अधिकार और न्यायिक समीक्षा की तुलना।

3. ब्रिटिश संविधान के साथ तुलना:

  • ब्रिटिश संविधान की विशेषताएँ और भारतीय संविधान के साथ समानताएँ और भिन्नताएँ।

  • संसदीय प्रणाली और कार्यपालिका की तुलना।

  • संवैधानिक परंपराएँ और न्यायिक समीक्षा की तुलना।

4. फ्रांसीसी संविधान के साथ तुलना:

  • फ्रांसीसी संविधान की विशेषताएँ और भारतीय संविधान के साथ समानताएँ और भिन्नताएँ।

  • गणराज्य और लोकतंत्र की तुलना।

  • मौलिक अधिकार और न्यायिक समीक्षा की तुलना।

5. जर्मन संविधान के साथ तुलना:

  • जर्मन संविधान की विशेषताएँ और भारतीय संविधान के साथ समानताएँ और भिन्नताएँ।

  • संघीय ढांचे और शक्तियों के विभाजन की तुलना।

  • मौलिक अधिकार और न्यायिक समीक्षा की तुलना।

6. अन्य देशों के संविधानों के साथ तुलना:

  • कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और दक्षिण अफ्रीका के संविधानों की विशेषताएँ और भारतीय संविधान के साथ समानताएँ और भिन्नताएँ।

  • संघीय ढांचे, मौलिक अधिकार, और न्यायिक समीक्षा की तुलना।

7. संवैधानिक विकास और सुधार:

  • विभिन्न देशों के संविधानों में हुए प्रमुख सुधार और उनके प्रभाव।

  • भारतीय संविधान में हुए प्रमुख संशोधन और उनके प्रभाव।

  • संवैधानिक सुधार के लिए सुझाव और चुनौतियाँ।



5.संसद और राज्य विधानमंडल-संरचना, कार्यप्रणाली, कार्य संचालन, शक्तियां एवं विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।


1. संसद और राज्य विधानमंडल की संरचना:

  • संसद: लोकसभा और राज्यसभा की संरचना।

  • राज्य विधानमंडल: विधान सभा और विधान परिषद की संरचना।

  • संसद और राज्य विधानमंडल के सदस्यों की योग्यता और चयन प्रक्रिया।

2. कार्यप्रणाली और कार्य संचालन:

  • संसद और राज्य विधानमंडल की कार्यप्रणाली।

  • सत्रों का आयोजन और कार्य संचालन।

  • विधायी प्रक्रिया: विधेयकों का परिचय, चर्चा, और पारित करना।

  • प्रश्नकाल, शून्यकाल, और अन्य संसदीय प्रक्रियाएँ।

3. शक्तियां और विशेषाधिकार:

  • संसद और राज्य विधानमंडल की विधायी शक्तियाँ।

  • वित्तीय शक्तियाँ: बजट और वित्त विधेयक।

  • कार्यपालिका पर नियंत्रण: प्रश्नकाल, स्थगन प्रस्ताव, और अविश्वास प्रस्ताव।

  • संसद और राज्य विधानमंडल के सदस्यों के विशेषाधिकार और अधिकार।

4. उत्पन्न होने वाले मुद्दे:

  • संसद और राज्य विधानमंडल की कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता।

  • विधायी प्रक्रिया में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व।

  • संसद और राज्य विधानमंडल के सदस्यों के आचरण और नैतिकता।

  • संसद और राज्य विधानमंडल के बीच संबंध और समन्वय।


6 .संरचना, संगठनऔर कार्यपालिका और न्यायपालिका का कामकाज-सरकार के मंत्रालय और विभाग; दबाव समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ और राजनीति में उनकी भूमिका।


1. कार्यपालिका की संरचना और संगठन:

  • कार्यपालिका का संगठन: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और मंत्रिपरिषद।

  • कार्यपालिका के प्रमुख विभाग और मंत्रालय।

  • कार्यपालिका की कार्यप्रणाली और जिम्मेदारियाँ।

2. न्यायपालिका की संरचना और संगठन:

  • न्यायपालिका का संगठन: उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, और अधीनस्थ न्यायालय।

  • न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और स्वतंत्रता।

  • न्यायपालिका की भूमिका और जिम्मेदारियाँ।

3. सरकार के मंत्रालय और विभाग:

  • प्रमुख मंत्रालय और उनके कार्य: गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, आदि।

  • मंत्रालयों और विभागों की कार्यप्रणाली और जिम्मेदारियाँ।

  • मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय और सहयोग।

4. दबाव समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ:

  • दबाव समूहों की परिभाषा और प्रकार।

  • दबाव समूहों की भूमिका और प्रभाव।

  • औपचारिक और अनौपचारिक संघों की भूमिका और महत्व।

  • राजनीति में दबाव समूहों और संघों का प्रभाव।

5. कार्यपालिका और न्यायपालिका का कामकाज:

  • कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संबंध।

  • कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन और असंतुलन।

  • कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच विवादों का समाधान।

6. राजनीति में दबाव समूहों और संघों की भूमिका:

  • दबाव समूहों और संघों के माध्यम से नीति निर्माण में भागीदारी।

  • दबाव समूहों और संघों के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर प्रभाव।

  • दबाव समूहों और संघों के माध्यम से लोकतंत्र को सुदृढ़ करना।



7.जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं.


1. निर्वाचन आयोग का गठन:

  • यह अधिनियम निर्वाचन आयोग के गठन और उसकी शक्तियों को निर्धारित करता है।

  • निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है।

2. मतदाता पंजीकरण:

  • अधिनियम के तहत मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।

  • पात्र मतदाताओं की सूची तैयार करना और उसे अद्यतन करना।

3. निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण:

  • निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और पुनः परिसीमन।

  • निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण और संशोधन।

4. उम्मीदवारों की योग्यता और अयोग्यता:

  • उम्मीदवारों की योग्यता और अयोग्यता के मानदंड।

  • आपराधिक रिकॉर्ड, दिवालियापन, और अन्य अयोग्यता के कारण।

5. चुनाव प्रक्रिया:

  • नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया।

  • चुनाव प्रचार और आचार संहिता।

  • मतदान प्रक्रिया और मतगणना।

6. चुनावी अपराध और दंड:

  • चुनावी अपराधों की परिभाषा और दंड।

  • भ्रष्ट आचरण, मतदाता प्रभावित करना, और अन्य चुनावी अपराध।

7. चुनाव याचिका:

  • चुनाव परिणामों के खिलाफ याचिका दाखिल करने की प्रक्रिया।

  • चुनाव याचिका की सुनवाई और निर्णय।

8. वित्तीय प्रबंधन:

  • चुनावी खर्च की सीमा और निगरानी।

  • उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के वित्तीय विवरण।


8.विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, शक्तियां, कार्य और विभिन्न संवैधानिक निकायों की जिम्मेदारियाँ।


1. राष्ट्रपति:

  • नियुक्ति: राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।

  • शक्तियाँ और कार्य: कार्यपालिका प्रमुख, विधायी शक्तियाँ, न्यायिक शक्तियाँ, आपातकालीन शक्तियाँ।

  • जिम्मेदारियाँ: संविधान की रक्षा और पालन करना, संसद के सत्र बुलाना और स्थगित करना, विधेयकों पर हस्ताक्षर करना।

2. उपराष्ट्रपति:

  • नियुक्ति: उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।

  • शक्तियाँ और कार्य: राज्यसभा के सभापति, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यकारी राष्ट्रपति।

  • जिम्मेदारियाँ: राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करना, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कर्तव्यों का निर्वहन करना।

3. प्रधानमंत्री:

  • नियुक्ति: प्रधानमंत्री का नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, जो लोकसभा में बहुमत दल के नेता होते हैं।

  • शक्तियाँ और कार्य: मंत्रिपरिषद का नेतृत्व, नीतियों का निर्धारण और कार्यान्वयन, संसद में सरकार का प्रतिनिधित्व।

  • जिम्मेदारियाँ: सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन, मंत्रिपरिषद के सदस्यों का चयन और नियुक्ति।

4. राज्यपाल:

  • नियुक्ति: राज्यपाल का नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

  • शक्तियाँ और कार्य: राज्य कार्यपालिका प्रमुख, विधायी शक्तियाँ, न्यायिक शक्तियाँ।

  • जिम्मेदारियाँ: राज्य की संविधानिक व्यवस्था की रक्षा करना, राज्य विधानमंडल के सत्र बुलाना और स्थगित करना।

5. मुख्य न्यायाधीश:

  • नियुक्ति: मुख्य न्यायाधीश का नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

  • शक्तियाँ और कार्य: उच्चतम न्यायालय का नेतृत्व, न्यायिक समीक्षा, संवैधानिक व्याख्या।

  • जिम्मेदारियाँ: न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना, संवैधानिक मामलों का निपटारा करना।

6. निर्वाचन आयोग:

  • नियुक्ति: मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों का नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

  • शक्तियाँ और कार्य: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना, चुनावी प्रक्रिया का संचालन।

  • जिम्मेदारियाँ: मतदाता सूची का अद्यतन, चुनावी आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करना।

7. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG):

  • नियुक्ति: CAG का नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

  • शक्तियाँ और कार्य: सरकारी खातों का लेखा परीक्षण, वित्तीय अनियमितताओं की जांच।

  • जिम्मेदारियाँ: सरकारी वित्तीय प्रबंधन की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना।

8. वित्त आयोग:

  • नियुक्ति: वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

  • शक्तियाँ और कार्य: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण।

  • जिम्मेदारियाँ: वित्तीय संसाधनों के न्यायसंगत वितरण की सिफारिश करना।


9.वैधानिक, विनियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।


1. वैधानिक निकाय:

  • निर्वाचन आयोग: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना।

  • वित्त आयोग: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण।

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग: मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन।

  • अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग: अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारों की सुरक्षा।

2. विनियामक निकाय:

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): मौद्रिक नीति का निर्धारण और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना।

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI): प्रतिभूति बाजार का विनियमन और निवेशकों की सुरक्षा।

  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI): दूरसंचार सेवाओं का विनियमन और उपभोक्ताओं की सुरक्षा।

  • भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI): बीमा उद्योग का विनियमन और विकास।

3. अर्ध-न्यायिक निकाय:

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT): पर्यावरणीय विवादों का निपटारा।

  • केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT): सरकारी कर्मचारियों के सेवा संबंधी विवादों का निपटारा।

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC): उपभोक्ता विवादों का निपटारा।

  • प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI): प्रतिस्पर्धा कानूनों का प्रवर्तन और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।


10.विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप तथा उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे।


1. सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप:

  • कृषि क्षेत्र: हरित क्रांति, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN), और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) जैसी नीतियां।

  • स्वास्थ्य क्षेत्र: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), आयुष्मान भारत योजना, और मिशन इंद्रधनुष।

  • शिक्षा क्षेत्र: सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA), और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)।

  • परिवहन और बुनियादी ढांचा: भारतमाला परियोजना, सागरमाला परियोजना, और स्मार्ट सिटी मिशन।

  • पर्यावरण और सतत विकास: स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, और जल जीवन मिशन।

2. नीतियों के डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे:

  • नीतियों का प्रभाव: नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना, जिससे लक्षित लाभार्थियों तक लाभ पहुँच सके।

  • वित्तीय संसाधन: नीतियों के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता और उनका सही उपयोग।

  • प्रशासनिक चुनौतियाँ: नीतियों के कार्यान्वयन में प्रशासनिक बाधाएँ और उनका समाधान।

  • समाजिक और आर्थिक असमानता: नीतियों का समाजिक और आर्थिक असमानता पर प्रभाव और उसे कम करने के उपाय।

  • पर्यावरणीय प्रभाव: नीतियों का पर्यावरण पर प्रभाव और सतत विकास के लिए उपाय।


11.विकास प्रक्रियाएं और विकास उद्योग - गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दाताओं, धर्मार्थ संस्थाओं, संस्थागत और अन्य हितधारकों की भूमिका।


1. गैर सरकारी संगठन (NGOs):

  • भूमिका: सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय मुद्दों पर काम करना।

  • कार्य: शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, और मानवाधिकारों की रक्षा।

  • उदाहरण: प्रथाम, हेल्पएज इंडिया, ग्रीनपीस इंडिया।

2. स्वयं सहायता समूह (SHGs):

  • भूमिका: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना।

  • कार्य: सूक्ष्म वित्त, उद्यमिता, और सामुदायिक विकास।

  • उदाहरण: स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास।

3. विभिन्न समूह और संघ:

  • भूमिका: विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाना और समाधान प्रदान करना।

  • कार्य: ट्रेड यूनियन, किसान संघ, और व्यापारिक संघ।

  • उदाहरण: भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ।

4. दाता और धर्मार्थ संस्थाएँ:

  • भूमिका: वित्तीय सहायता और संसाधन प्रदान करना।

  • कार्य: शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण के लिए धन जुटाना।

  • उदाहरण: बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, टाटा ट्रस्ट्स।

5. संस्थागत और अन्य हितधारक:

  • भूमिका: नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सहयोग करना।

  • कार्य: सरकारी और निजी संस्थान, अनुसंधान संस्थान, और शैक्षणिक संस्थान।

  • उदाहरण: नीति आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, और विभिन्न विश्वविद्यालय।


12.केंद्र और राज्यों द्वारा जनसंख्या के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का प्रदर्शन; तंत्र, कानून, संस्थाएंऔरइन कमजोर वर्गों के संरक्षण और बेहतरी के लिए गठित निकाय।


1. कल्याणकारी योजनाएं:

  • प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): सभी के लिए आवास सुनिश्चित करना।

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना।

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): सभी नागरिकों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना।

  • आयुष्मान भारत योजना: गरीब और कमजोर वर्गों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना।

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): गरीब और कमजोर वर्गों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना।

2. तंत्र और कानून:

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC): मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन।

  • राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW): महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन।

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR): बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन।

  • अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग: अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारों की सुरक्षा।

3. संस्थाएं और निकाय:

  • राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC): अनुसूचित जातियों के अधिकारों की सुरक्षा।

  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST): अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की सुरक्षा।

  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC): पिछड़े वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा।

  • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM): अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा।

4. प्रदर्शन और चुनौतियाँ:

  • प्रदर्शन: इन योजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों को लाभ पहुंचाया गया है, जैसे कि आवास, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाएं, और वित्तीय समावेशन।

  • चुनौतियाँ: योजनाओं के कार्यान्वयन में प्रशासनिक बाधाएँ, वित्तीय संसाधनों की कमी, और सामाजिक असमानता।



  • 12.स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।


1. स्वास्थ्य क्षेत्र:

  • स्वास्थ्य सेवाओं का विकास: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), आयुष्मान भारत योजना, और मिशन इंद्रधनुष जैसी योजनाएँ।

  • स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन: स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, पहुंच, और वित्तीय प्रबंधन।

  • स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे: मातृ और शिशु मृत्यु दर, संक्रामक रोग, और गैर-संक्रामक रोग।

2. शिक्षा क्षेत्र:

  • शिक्षा का विकास: सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA), और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)।

  • शिक्षा का प्रबंधन: शिक्षा की गुणवत्ता, पहुंच, और वित्तीय प्रबंधन।

  • शिक्षा से संबंधित मुद्दे: साक्षरता दर, ड्रॉपआउट दर, और उच्च शिक्षा में सुधार।

3. मानव संसाधन विकास:

  • मानव संसाधन का विकास: कौशल विकास योजनाएँ, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), और राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन।

  • मानव संसाधन का प्रबंधन: रोजगार के अवसर, श्रम बाजार सुधार, और उद्यमिता को बढ़ावा देना।

  • मानव संसाधन से संबंधित मुद्दे: बेरोजगारी, श्रम कानून, और सामाजिक सुरक्षा।

4. सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे:

  • नीतियों का प्रभाव: नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना, जिससे लक्षित लाभार्थियों तक लाभ पहुँच सके।

  • वित्तीय संसाधन: नीतियों के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता और उनका सही उपयोग।

  • प्रशासनिक चुनौतियाँ: नीतियों के कार्यान्वयन में प्रशासनिक बाधाएँ और उनका समाधान।

  • समाजिक और आर्थिक असमानता: नीतियों का समाजिक और आर्थिक असमानता पर प्रभाव और उसे कम करने के उपाय।

  • पर्यावरणीय प्रभाव: नीतियों का पर्यावरण पर प्रभाव और सतत विकास के लिए उपाय।


    14. गरीबी और भुखमरी से संबंधित मुद्दे।


1. गरीबी के मुद्दे:

  • परिभाषा और माप: गरीबी की परिभाषा और माप के विभिन्न मानक।

  • कारण: गरीबी के प्रमुख कारण जैसे बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, और सामाजिक असमानता।

  • प्रभाव: गरीबी का सामाजिक, आर्थिक, और स्वास्थ्य पर प्रभाव।

  • उन्मूलन के प्रयास: गरीबी उन्मूलन के लिए सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ।

2. भुखमरी के मुद्दे:

  • परिभाषा और माप: भुखमरी की परिभाषा और माप के विभिन्न मानक।

  • कारण: भुखमरी के प्रमुख कारण जैसे खाद्य असुरक्षा, गरीबी, और कृषि उत्पादन में कमी।

  • प्रभाव: भुखमरी का स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक स्थिरता पर प्रभाव।

  • उन्मूलन के प्रयास: भुखमरी उन्मूलन के लिए सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ।

3. सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ:

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): गरीब और कमजोर वर्गों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना।

  • मिड-डे मील योजना: स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना।

  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY): कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना।

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना।

4. तंत्र और संस्थाएँ:

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM): खाद्य उत्पादन में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (POSHAN Abhiyaan): कुपोषण को कम करने के लिए प्रयास।

  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM): ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर बढ़ाना।

5. चुनौतियाँ और समाधान:

  • चुनौतियाँ: योजनाओं के कार्यान्वयन में प्रशासनिक बाधाएँ, वित्तीय संसाधनों की कमी, और सामाजिक असमानता।

  • समाधान: नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन, वित्तीय संसाधनों का सही उपयोग, और सामाजिक जागरूकता बढ़ाना।


  • 15.शासन, पारदर्शिता के महत्वपूर्ण पहलूऔरजवाबदेही, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं, सीमाएं और संभावनाएं; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता और जवाबदेही तथा संस्थागत और अन्य उपाय।

1. शासन के महत्वपूर्ण पहलू:

  • पारदर्शिता: सरकारी कार्यों और निर्णयों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।

  • जवाबदेही: सरकारी अधिकारियों और संस्थाओं की जवाबदेही सुनिश्चित करना।

  • नागरिक भागीदारी: नीति निर्माण और कार्यान्वयन में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना।

2. ई-गवर्नेंस:

  • अनुप्रयोग: सरकारी सेवाओं को डिजिटल माध्यम से प्रदान करना, जैसे कि डिजिटल इंडिया, उमंग ऐप, और आधार।

  • मॉडल: जी2सी (Government to Citizen), जी2बी (Government to Business), जी2जी (Government to Government), और जी2ई (Government to Employee) मॉडल।

  • सफलताएं: सरकारी सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार, भ्रष्टाचार में कमी, और प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि।

  • सीमाएं: डिजिटल विभाजन, साइबर सुरक्षा, और डेटा गोपनीयता।

  • संभावनाएं: स्मार्ट सिटी मिशन, डिजिटल भुगतान, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग।

3. नागरिक चार्टर:

  • परिभाषा: सरकारी सेवाओं के मानक और नागरिकों के अधिकारों का विवरण।

  • उद्देश्य: सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता और जवाबदेही में सुधार।

  • उदाहरण: विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा जारी नागरिक चार्टर।

4. पारदर्शिता और जवाबदेही:

  • संस्थागत उपाय: सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), लोकपाल और लोकायुक्त, और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC)।

  • अन्य उपाय: सोशल ऑडिट, जन सुनवाई, और नागरिक शिकायत निवारण प्रणाली।

5. संस्थागत और अन्य उपाय:

  • संविधानिक निकाय: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG), निर्वाचन आयोग, और वित्त आयोग।

  • विनियामक निकाय: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI)।

  • अर्ध-न्यायिक निकाय: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT), और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC)।


    16.लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।


1. सिविल सेवाओं की भूमिका:

  • नीति निर्माण: सिविल सेवक नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सरकार को विभिन्न नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में सहायता करते हैं।

  • प्रशासनिक कार्य: सिविल सेवक विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हैं। वे प्रशासनिक कार्यों का संचालन और निगरानी करते हैं।

  • जन सेवा: सिविल सेवक जनता की सेवा में लगे रहते हैं। वे नागरिकों की समस्याओं का समाधान करते हैं और उन्हें सरकारी सेवाओं का लाभ पहुंचाते हैं।

  • विकास कार्य: सिविल सेवक विकास कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न विकास परियोजनाओं का संचालन और निगरानी करते हैं।

  • न्यायिक कार्य: सिविल सेवक न्यायिक कार्यों में भी शामिल होते हैं। वे कानून और व्यवस्था बनाए रखने में सहायता करते हैं।

2. सिविल सेवाओं की चुनौतियाँ:

  • भ्रष्टाचार: सिविल सेवाओं में भ्रष्टाचार एक प्रमुख चुनौती है। इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

  • राजनीतिक हस्तक्षेप: सिविल सेवाओं में राजनीतिक हस्तक्षेप भी एक बड़ी समस्या है। इससे सिविल सेवकों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता प्रभावित होती है।

  • प्रशासनिक सुधार: सिविल सेवाओं में प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता है। इससे सिविल सेवकों की कार्यक्षमता और प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकती है।

3. सिविल सेवाओं का महत्व:

  • लोकतंत्र की मजबूती: सिविल सेवक लोकतंत्र की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सरकार और जनता के बीच एक पुल का काम करते हैं।

  • सतत विकास: सिविल सेवक सतत विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न विकास परियोजनाओं का संचालन और निगरानी करते हैं।

  • सामाजिक न्याय: सिविल सेवक सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करते हैं और उन्हें सरकारी सेवाओं का लाभ पहुंचाते हैं।


17.भारत और उसके पड़ोसी- संबंध।


1. भारत और पाकिस्तान:

  • इतिहास: विभाजन और उसके बाद के संघर्ष।

  • वर्तमान संबंध: कश्मीर मुद्दा, सीमा विवाद, और आतंकवाद।

  • सहयोग के प्रयास: व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और शांति वार्ता।

2. भारत और चीन:

  • इतिहास: प्राचीन व्यापारिक संबंध और 1962 का युद्ध।

  • वर्तमान संबंध: सीमा विवाद, व्यापारिक संबंध, और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा।

  • सहयोग के प्रयास: ब्रिक्स, एससीओ, और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग।

3. भारत और नेपाल:

  • इतिहास: सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध।

  • वर्तमान संबंध: सीमा विवाद, जल संसाधन प्रबंधन, और व्यापार।

  • सहयोग के प्रयास: बिम्सटेक, सार्क, और द्विपक्षीय सहयोग।

4. भारत और भूटान:

  • इतिहास: सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध।

  • वर्तमान संबंध: आर्थिक सहयोग, जलविद्युत परियोजनाएँ, और सुरक्षा।

  • सहयोग के प्रयास: द्विपक्षीय समझौते और क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग।

5. भारत और बांग्लादेश:

  • इतिहास: 1971 का स्वतंत्रता संग्राम और भारत का समर्थन।

  • वर्तमान संबंध: सीमा विवाद, जल संसाधन प्रबंधन, और व्यापार।

  • सहयोग के प्रयास: बिम्सटेक, सार्क, और द्विपक्षीय सहयोग।

6. भारत और श्रीलंका:

  • इतिहास: सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध।

  • वर्तमान संबंध: तमिल मुद्दा, मछली पकड़ने के विवाद, और व्यापार।

  • सहयोग के प्रयास: द्विपक्षीय समझौते और क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग।

7. भारत और म्यांमार:

  • इतिहास: सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध।

  • वर्तमान संबंध: सीमा सुरक्षा, व्यापार, और रणनीतिक सहयोग।

  • सहयोग के प्रयास: बिम्सटेक, आसियान, और द्विपक्षीय सहयोग।

8. भारत और अफगानिस्तान:

  • इतिहास: प्राचीन व्यापारिक संबंध और आधुनिक संघर्ष।

  • वर्तमान संबंध: सुरक्षा, विकास सहायता, और व्यापार।

  • सहयोग के प्रयास: क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग और द्विपक्षीय समझौते।


18.भारत से संबंधित और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा समझौते।

1. द्विपक्षीय समूह और समझौते:

  • भारत-अमेरिका संबंध: रक्षा, व्यापार, और तकनीकी सहयोग के समझौते।

  • भारत-रूस संबंध: रक्षा उपकरणों की खरीद और ऊर्जा सहयोग।

  • भारत-फ्रांस संबंध: रक्षा, अंतरिक्ष, और परमाणु ऊर्जा में सहयोग।

  • भारत-जापान संबंध: आर्थिक, रक्षा, और तकनीकी सहयोग।

2. क्षेत्रीय समूह और समझौते:

  • सार्क (SAARC): दक्षिण एशियाई देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक सहयोग।

  • बिम्सटेक (BIMSTEC): बंगाल की खाड़ी के देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग।

  • आसियान (ASEAN): दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग।

  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO): मध्य एशियाई देशों के साथ सुरक्षा और आर्थिक सहयोग।

3. वैश्विक समूह और समझौते:

  • संयुक्त राष्ट्र (UN): वैश्विक शांति, सुरक्षा, और विकास के लिए सहयोग।

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO): वैश्विक व्यापार नियमों का निर्धारण और विवाद निवारण।

  • ब्रिक्स (BRICS): ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग।

  • जी-20 (G20): विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक नीति समन्वय।

4. भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते:

  • पेरिस जलवायु समझौता: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयास।

  • रणनीतिक साझेदारी समझौते: विभिन्न देशों के साथ रणनीतिक और रक्षा सहयोग।

  • मुक्त व्यापार समझौते (FTA): विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक बाधाओं को कम करने के लिए समझौते।


19.विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का भारत के हितों पर प्रभाव, भारतीय प्रवासी


1. विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का भारत के हितों पर प्रभाव:

  • व्यापार नीतियाँ: विकसित देशों की व्यापार नीतियाँ और उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएँ भारतीय निर्यात को प्रभावित करती हैं।

  • जलवायु परिवर्तन नीतियाँ: विकसित देशों की जलवायु परिवर्तन नीतियाँ और उनके द्वारा लगाए गए कार्बन टैक्स भारतीय उद्योगों पर प्रभाव डाल सकते हैं।

  • विदेश नीति: विकसित और विकासशील देशों की विदेश नीति और उनके द्वारा किए गए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित कर सकते हैं।

  • आर्थिक नीतियाँ: विकसित देशों की आर्थिक नीतियाँ, जैसे कि ब्याज दरों में परिवर्तन, भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकती हैं।

  • प्रवासी नीतियाँ: विकसित देशों की प्रवासी नीतियाँ और वीजा नियम भारतीय प्रवासियों और उनके परिवारों पर प्रभाव डाल सकते हैं।

2. भारतीय प्रवासी:

  • प्रवासी भारतीयों की भूमिका: भारतीय प्रवासी विभिन्न देशों में आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक योगदान देते हैं।

  • प्रवासी भारतीयों की चुनौतियाँ: भारतीय प्रवासियों को विभिन्न देशों में सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

  • प्रवासी भारतीयों के लिए सरकारी नीतियाँ: भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों के लिए चलाई जाने वाली योजनाएँ और नीतियाँ, जैसे कि प्रवासी भारतीय दिवस, प्रवासी भारतीय केंद्र, और प्रवासी भारतीय बीमा योजना।

  • प्रवासी भारतीयों का योगदान: भारतीय प्रवासी भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जैसे कि विदेशी मुद्रा प्रेषण और निवेश।


20.महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं, एजेंसियां और मंच -उनकी संरचना, अधिदेश।


1. संयुक्त राष्ट्र (United Nations - UN):

  • संरचना: महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, सचिवालय।

  • अधिदेश: वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

2. विश्व बैंक (World Bank):

  • संरचना: अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD), अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)।

  • अधिदेश: विकासशील देशों में आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना।

3. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund - IMF):

  • संरचना: गवर्नर्स बोर्ड, कार्यकारी बोर्ड, प्रबंध निदेशक।

  • अधिदेश: वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना।

4. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization - WHO):

  • संरचना: विश्व स्वास्थ्य सभा, कार्यकारी बोर्ड, सचिवालय।

  • अधिदेश: वैश्विक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण।

5. विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization - WTO):

  • संरचना: मंत्रिस्तरीय सम्मेलन, सामान्य परिषद, सचिवालय।

  • अधिदेश: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों का निर्धारण और निगरानी, व्यापार विवादों का समाधान।

6. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization - ILO):

  • संरचना: अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन, प्रशासनिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय।

  • अधिदेश: श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना, श्रम मानकों का निर्धारण और निगरानी।

7. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO):

  • संरचना: सामान्य सम्मेलन, कार्यकारी बोर्ड, सचिवालय।

  • अधिदेश: शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना।

8. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency - IAEA):

  • संरचना: सामान्य सम्मेलन, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, सचिवालय।

  • अधिदेश: परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना, परमाणु सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना।

source

भारतीय संविधान और राजव्यवस्था by डी.डी. बसु

भारत की राजव्यवस्था-एम लक्ष्मीकांत

राजनीति विज्ञान (कक्षा 11 और 12)


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